Upma Alankar

Upma Alankar, easy examples of Upma Alankar in hindi, Upma Alankar example in marathi, Upma Alankar ki paribhasha udaharan sahit, Upma Alankar kise kahte hai, Upma Alankar ke bhed उपमा अलंकार की परिभाषा, भेद, उदाहरण सहित. Upma Alankar उपमा अलंकार किसे कहते हैं। उपमा अलंकार की परिभाषा, भेद तथा उदाहरण का वर्णन कीजिए। उपमा अलंकार परिभाषा भेद उदाहरण. उपमा अलंकार के उदाहरण और परिभाषा

जहाँपर पर दो वस्तुओं या पदार्थों में भिन्नता होते हुए भी उनकी समता की जाए या किसी वस्तु के वर्णन में उससे अधिक वस्तु से तुलना या समानता की जाए वहां उपमा अलंकार होता है। यह समता रूप, रंग और गुड़ के आधार पर की जाती है। "नीलिमा चंद्रमा जैसी सुंदर है" पंकित में "नीलिमा" और "चंद्रमा" दोनों सुंदर होने के कारण दोनों में सादृश्यता (मिलता-जुलतापन) स्थापित किया गया है। 
दो पक्षों की तुलना करते समय उपमा के निम्नलिखित चार तत्वों को ध्यान में रखा जाता है। 

१. उपमेय - जिसको उपमा दी जाए अर्थात जिसका वर्णन हो रहा है, उसे उपमेय या प्रस्तुत कहते हैं। "चांद सा सुंदर मुख" इस उदाहरण में मुख उपमेय है। 

२. उपमान - वह प्रसिद्ध वस्तु या प्राणी जिससे उपमेयकी तुलना की जाए उपमान कहलाता है। उसे  अप्रस्तुत भी कहते हैं। ऊपर के उदाहरण में चांद उपमान है।

३. साधारण धर्म - उपमेय और उपमान का परस्पर समान गुड़ या विशेषता व्यक्त करने वाले शब्द साधारण धर्म कहलाते हैं। इस उदाहरण में सुंदर साधारण धर्म को बता रहा है। 

४. वाचक शब्द - जिन शब्दों की सहायता से उपमा अलंकार की पहचान होती है सा, सी, तुल्य, सम, जैसा, ज्यों, सरिस, के समान आदि शब्द वाचक शब्द कहलाते हैं।  

उपमा अलंकार के मुख्य दो भेद है। 

१-पूर्णोपमा अलंकार
२-लुप्तोपमा अलंकार

१. पूर्णोपमा अलंकार

जहां उपमा के चारों अंग उपमेय, उपमान, साधारण धर्म तथा वाचक शब्द एक साथ उपस्थित हो वहां पर पूर्णोपमा अलंकार होता है। 
जैसे- पीपर पात सरिस मन डोला। 

२. लुप्तोपमा अलंकार

उपमा के चारों अंगों में से कोई एक या एक से अधिक अंग लुप्त रहते हैं तो वहां पर लुप्तोपमा अलंकार होता है

जैसे- तुम सम पुरुष न मो सम नारी। 

.

मखमल के झूले पड़े, हाथी सा टीला 

उपयुक्त काव्य पंकित में "टीला" उपमेय है,मखमल के झूले पड़े "हाथी" उपमान है "सा" वाचक है,किंतु इसमें साधारण धर्म नहीं है। वह छिपा हुआ है। कवि का आशय है "मखमल के झूले पड़े विशाल हाथी सा टीला। " यहां विशाल जैसा कोई साधारण धर्म लुप्त है, अतः इस प्रकार के उपमा का प्रयोग लुप्तोपमा अलंकार कहलाता है। 

"प्रात नभ था बहुत नीला शंख जैसे"। 

उपयुक्त काव्य पंकित में  प्रातः कालीन नभ उपमेय है, संख उपमान है नीला साधारण धर्म है और जैसे वाचक शब्द है। यहां उपमा के चारों अंग उपस्थित है, अतः  यहां पूर्णोपमा अलंकार होगा

काम-सा रूप, प्रताप दिनेश-सा
सोम सा सील है राम महीप का। 

उपर्युक्त उदाहरण में राम उपमेय है, किंतु उपमान, साधारण धर्म और वाचक तीन है- काम सा रूप, दिनेश सा प्रताप और सोम सा शील।  इस प्रकार जहां उपमेय और उपमान अनेको हों,वहां  मालोपमा अलंकार होता है। मालोपमा  होते हुए भी वह पूर्णोपमा है क्योंकि यहां उपमा के चारों तत्व विद्यमान है। 

हरि पद कोमल कमल-से। 

हाय फूल सी कोमल बच्ची,
हुई राख की थी ढेरी। 

पीपर पात सरिस मन डोला

कोटी कुलिस-सम वचन तुम्हारा। 
 व्यर्थ धरहु धनु बान कुठारा।।

मुख बाल-रवि-सम लाल होकर,
 ज्वाल-सा बोधित हुआ। 

सम्पूर्ण अलंकार हिंदी ग्रामर


अन्य अलंकार-
 १-अनुप्रास अलंकार
२-यमक अलंकार
३-उपमा अलंकार
४-उत्प्रेक्षा अलंकार
५-अतिशयोक्ति अलंकार
६-अन्योक्ति अलंकार
७-श्लेष अलंकार
८-रूपक अलंका