Shant Ras

Shant Ras Saturday 27th of July 2024

Shant Ras जहां पर संसार के प्रति उदासीनता के भाव का वर्णन किया गया हो वहां पर शांत रस होता है इसका स्थाई भाव निर्वेद होता है। जहां पर संसार के प्रति उदासीनता के भाव का वर्णन किया गया हो वहां पर शांत रस Shant Ras होता है इसका स्थाई भाव निर्वेद होता है। शान्त रस हिंदी साहित्य में प्रसिद्ध नौ रसों में अन्तिम रस माना जाता है।निर्वेद नामक स्थाई भाव विभावावादि से संयुक्त होकर शांत रस की निष्पत्ति होती है। Shant Ras - शांत रस की परिभाषा और उदाहरण

शांत रस की परिभाषा

शांत रस

शांत रस का स्थायी भाव निर्वेद होता है शांत रस में तत्व ज्ञान कि प्राप्ति या संसार से वैराग्य मिलने पर, परमात्मा के वास्तविक रूप का ज्ञान प्राप्त होने पर मन को जो शान्ति मिलती है वहाँ पर शान्त रस की उत्पत्ति होती है जहाँ पर न दुःख होता है, न ही द्वेष होता है मनुष्य का मन सांसारिक कार्यों से मुक्त हो जाता है और मनुष्य वैराग्य प्राप्त कर लेता है शान्त रस कहा जाता है। 

निर्वेद नामक स्थाई भाव विभावावादि  से संयुक्त होकर शांत रस की निष्पत्ति होती है। 

शांत रस के बारे में

शान्त रस हिंदी साहित्य में प्रसिद्ध नौ रसों में अन्तिम रस माना जाता है। "शान्तोऽपि नवमो रस:।" इसका सबसे महत्त्वपूर्ण कारण यह है कि भरतमुनि ने अपने  ‘नाट्यशास्त्र’ में, जो रस विवेचन का आदि स्रोत दिया है, नाट्य रसों के रूप में केवल आठ रसों का ही वर्णन मिला है। शान्त रस के उस रूप में भरतमुनि ने मान्यता प्रदान नहीं की, जिस रूप में श्रृंगार, वीर आदि रसों की, और न उसके विभाव, अनुभाव और संचारी भावों का ही वैसा स्पष्ट निरूपण किया है। 

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शांत रस का उदाहरण

मन रे तन कागद का पुतला
लागै बूँद विनसि जाय छिन में गरब करै क्यों इतना।

'तपस्वी! क्यों इतने हो क्लांत,
 वेदना का यह कैसा वेग ?
आह! तुम कितने अधिक हताश
बताओ यह कैसा उद्वेग ?

भरा था मन में नव उत्साह सीख लूँ ललित कला का ज्ञान
इधर रह गंधर्वों के देश, पिता की हूँ प्यारी संतान।

देखी मैंने आज जरा
हो जावेगी क्या ऐसी मेरी ही यशोधरा
हाय ! मिलेगा मिट्टी में वह वर्ण सुवर्ण खरा
सुख जावेगा मेरा उपवन जो है आज हरा

जब मै था तब हरि नाहिं अब हरि है मै नाहिं,
सब अँधियारा मिट गया जब दीपक देख्या माहिं। 

शांत रस के भेद

 

रस के भेद-
रस 9  प्रकार के होते हैं परन्तु वात्सल्य एवं भक्ति को भी रस माना गया हैं।

१- श्रंगार रस Shringar Ras 
२-  हास्य रस Hasya Ras
३-  वीर रस Veer Ras
४- करुण रस Karun Ras 
५-  शांत रस Shant Ras
६- अदभुत रस Adbhut Ras
७- भयानक रस Bhayanak Ras 
८- रौद्र रस Raudra Ras 
९- वीभत्स रस Vibhats Ras 
१०-  वात्सल्य रस Vatsalya Ras
११-  भक्ति रस Bhakti Ras