Tadbhav Tatsam तत्सम शब्द in Hindi Tuesday 10th of December 2024
तद्भव शब्द तत् +भव से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है- विकसित या उससे उत्पन्न। अर्थात वे शब्द जो संस्कृत से उत्पन्न या विकसित हुए हैं, तद्भव शब्द कहलाते है। दूसरे शब्दों में जो संस्कृत शब्द रूप में परिवर्तन के साथ हिंदी शब्दावली में आ गए हैं तत्भव शब्द कहलाते है जो पाली, प्राकृत अपभ्रंश होते- परिवर्तित होते हिंदी आदि आधुनिक भाषाओं में आए हैं। सच कहें तो ये तद्भव शब्द ही हमारी अपनी पूंजी है। हिंदी की सभी क्रियाएं, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया विशेषण तद्भव शब्द है। जैसे- आग,बरसा,सलोक,किरपा आदि तद्भव शब्द है। उदय नारायण तिवारी ने तद्भव शब्दों को हिंदी का मेरुदंड कहा है।
तत्सम शब्द तत + सम से मिलकर बना है जिसका अर्थ है,जिसका अर्थ है- "उसके सामान" अर्थात जो शब्द संस्कृत भाषा से हिंदी में आए और ज्यों के त्यों प्रयुक्त होते हैं तत्सम शब्द कहलाते हैं। "दूसरे शब्दों में संस्कृत के वे शब्द जो हिंदी में यथावत ले लिए गए हैं तत्सम शब्द कह लाते हैं जैसे अग्नि, वर्षा,श्लोक, कृष्ण, कृपा आदि तत्सम शब्द है।
तत्सम शब्द दो प्रकार के होते हैं-
१-परंपरागत तत्सम शब्द
२-निर्मित तत्सम शब्द
१. परंपरागत तत्सम शब्द : जो शब्द संस्कृत वांग्मय में उपलब्ध है परंपरागत तत्सम शब्द कहलाते हैं।
२. निर्मित तत्सम शब्द : जो सब नए विचारों और व्यापार ओं की अभिव्यक्ति करने के लिए संस्कृत के व्याकरण के अनुसार समय-समय पर बना लिए गए हैं निर्मित तत्सम शब्द कहलाते है।
विभिन्न प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं में तद्भव शब्दों के तत्सम रूप लिखने को आते हैं। अतः छात्रों की सुविधा अनुसार तद्भव और तत्सम शब्दों की निम्नलिखित सूची दी जा रही है।जो विभिन्न परीक्षाओं में पूछे गए हैं और आने वाले प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकती हैं।
अंगरखा- अंगरक्षक
अंगोछा- अंग प्रोंछा
अठारह- अष्टादश
अनाज अन्न
आलस- आलस्य
आंसू- अश्रु
इलायची- एला
उछाह- उत्साह
उजला- उज्जवल
ओखली- उलूखन
कपूत - कुपुत्र
किसन- कृष्ण
कारज- कार्य
कुटुम - कुटुंब
क्रोधित - क्रुद्ध
कड़ुआ - कटु
खम्भा - स्तम्भ
खीर- छीर
खेत - क्षेत्र
गदहा - गर्दभ
गाय - गो
गनेश - गणेश
गलत - गल्त
घी - घृत
घर - गृह
चमड़ा- चर्म
चांद- चंद्र
चौथा- चतुर्थ
चौदह- चतुर्दस
चूरन- चूर्ण
छाजन- छादन
छेद - छिद्र
जुगत- युक्ति
जौ- जव
जमाई- जमाता
तुरंत- त्वरित
तपसी - तपस्वी
तीरथ- तीर्थ
दही- दधि
दरसन- दर्शन
धुआं- धूम्र
नाच- नृत्य
नेह- स्नेह
भादो- भाद्रपद
भगत- भक्त
भावज- भौजाई
मां- मातृ
मानस- मनुष्य
सन्यासी- संन्यासी
ससुर- स्वसुर
सावला- श्यामल
हल्दी- हरिद्रा
फुर्ती- स्फूर्ति
गेहूं- गोधूम
मुंह- मुख
आंसू- अश्रु
अंधेरा- अंधकार
कुत्ता- कुकुर
खीर- क्षीर
मोर- मयूर
सफेद- श्वेत
भौजाई- भ्रातृजाया
मेह- मेघ
भौंरा- भ्रमर
जेठ- ज्येष्ठ
कंधा- स्कंध
उबटन- उद्वर्तन
केला- कदली
पसीना- प्रस्विनन
कपास- कर्पास
ओझा- उपाध्याय
कंगन- कंकण
भभूत- विभूति
मौत- मृत्यु
गॅवार- ग्रामीण
कान- कर्ण
साखी - साक्षी
सावन- श्रवण
भगत- भक्त
भौंह- भ्रू
मक्खी- मक्षिका
बांसुरी- बंसी
सरसों- सर्षप
बच्चा- वत्स