Hindi Varnamala

Hindi Varnamala Thursday 21st of November 2024

Hindi Varnamala वर्ण का दूसरा नाम अक्षर है। अक्षर शब्द का अर्थ ही होता है- अनाशवान। अतः वर्ण अखंड मूल ध्वनि का नाम है। वह किसी शब्द का वह खंड है, जिसे खंड-खंड नहीं किया जा सकता है, जिसका विभाजन नहीं किया जा सकता। प्रत्येक वर्ण की ध्वनि अपना एक विशेष आकार रखती है जिसे वर्ण कहते हैं। प्रत्येक भाषा में कई वर्ण होते हैं, जिसे वर्ण माला (Varnamala) कहते है। हिंदी भाषा की वर्णमाला में 52 वर्ण है। हिंदी की लिपि का नाम देवनागरी है। Hindi Swar and Vyanjan, हिंदी वर्णमाला

हिंदी वर्णमाला

मूलतः हिंदी में उच्चारण के आधार पर 45 वर्ण (10 स्वर+ 35  व्यंजन) एवं लेखन के आधार पर 52 वर्ण (13 स्वर + 35 व्यंजन + 4 संयुक्त व्यंजन) है। 

हिंदी वर्णमाला स्वर और व्यंजन  Hindi Swar And Vyanjan

स्वर

जिन वर्णों को बोलने में किसी की सहायता न लेनी पड़े उन्हें स्वर कहते है ।"स्वर उन ध्वनियों को कहते हैं जो बिना किसी अन्य वर्णों की सहायता के उच्चारित किये जाते हैं "। परंपरागत रूप से इन की संख्या 13 मानी गई है। उच्चारण की दृष्टि से इनमें केवल 10 ही स्वर हैं। 

अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, (ऋ) ए, ऐ, ओ, औ (अं), (अः)।
'अं' और 'अः' को स्वर में नहीं गिना जाता है। इन्हें अयोगवाह ध्वनियाँ कहा जाता है।अयोगवाह -यह दो होते हैं।
अं, अः
अं को अनुस्वार कहते हैं
अ: को विसर्ग कहते हैं

स्वरों का वर्गीकरण

1-लघु/ह्रस्व स्वर-जिनके उच्चारण में कम समय (एक मात्रा का समय) लगता है, उसे लघु/ह्रस्व स्वर कहते हैं जैसे-अ, इ, उ,।

2-दीर्घ स्वर- जिन के उच्चारण में लघु स्वर से अधिक समय (दो मात्रा का समय) लगता है उसे दीर्घ स्वर कहते हैं। जैसे- आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।

3-प्लुत स्वर -जिन के उच्चारण में दीर्घ स्वर से भी अधिक समय लगता है, किसी को पुकारने में या नाटक के संवादों में इसका प्रयोग किया जाता है। (रा S S S म)

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व्यंजन

स्वर की सहायता से बोले जाने वाले वर्ण "व्यंजन" कहलाते हैं। प्रत्येक व्यंजन के उच्चारण में "अ" स्वर मिला होता है। अ के बिना व्यंजन का उच्चारण संभव नहीं। परंपरागत रूप से व्यंजनों की संख्या 33 मानी जाती है। द्विगुण व्यंजन "ड़्, ढ़्" को जोड़ देने पर इनकी संख्या 35 हो जाती है। 

Vyanjan Ka Vargikaran

 

1. स्पर्श व्यंजन

जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय हवा फेफड़ों से निकलते हुए मुंह के किसी स्थान विशेष- कंठ, तालु, मूर्धा, दांत या होंठ का स्पर्श करते हुए निकले स्पर्श व्यंजन कहलाते है। उच्चारण स्थान के आधार पर स्पर्श व्यंजन के वर्ग हैं- क वर्ग- कंठ , च वर्ग-तालव्य,ट वर्ग-मूर्घन्य , त वर्ग दन्त्य तथा प वर्ग ओष्ठय। स्पर्श व्यंजनों की कुल संख्या 25 है। इनको पाँच वर्गों में रखा गया है तथा हर वर्ग में पाँच-पाँच व्यंजन हैं। हर वर्ग का नाम पहले वर्ग के अनुसार रखा गया है जैसे:
१-कवर्ग- क् ख् ग् घ् ङ्
२-चवर्ग- च् छ् ज् झ् ञ्
३-टवर्ग- ट् ठ् ड् ढ् ण् (ड़् ढ़्)
४-तवर्ग- त् थ् द् ध् न्
५-पवर्ग- प् फ् ब् भ् म्

2. अंतस्थ व्यंजन

जिन वर्णों का उच्चारण पारंपरिक वर्णमाला के बीच अर्थात स्वरों व व्यंजनों के बीच स्थित हो अंतस्थ व्यंजन कहलाते हैं। ये प्रकार के होते हैं - य् र् ल् व्। 

3. ऊष्म / संघर्षी व्यंजन

जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय वायु मुख में किसी स्थान- विशेष पर घर्षण/रगड़ खाकर निकले और ऊष्मा / गर्मी पैदा करें ऊष्म/ संघर्षी व्यंजन कहलाते हैं। ये चार प्रकार के होते हैं-श् ष् स् ह्

4. संयुक्त व्यंजन Sanyukt Vyanjan

क्ष - क् + ष्
त्र - त् + र्
ज्ञ - ज् + ञ्
श्र - श् + र्

Hindi Varnamala Chart

वर्णों का उच्चारण स्थान 

क्रमांकउच्चारण स्थानस्वरस्पर्श व्यंजनअन्तस्थ व्यंजनउतम व्यंजन
1  कंठअ,आ   क,ख,ग,घ,ङ         -
2   तल्व्यइ,ईच,छ,ज,झ,ञ            य
3   मूर्धन्यट,थ,ड,ढ,ण         र
4   दन्त-त,थ,द,ध,न        ल
5   ओष्टउ,ऊप,फ,ब,भ,म          --
6   नासिक-अं अः            --
7   दन्तोष्ठ--         व-
8   कंठतल्व्यए,ऐ-          --
9  कंठओष्ठओ,औ-           --

 

अघोष- जिन ध्वनियों के उच्चारण में स्वर तंत्रियों में कंपन न हो अघोष वर्ण कहलाते हैं। प्रत्येक वर्ग के प्रथम व द्वितीय व्यंजन। 

घोष /सघोष- जिन ध्वनियों के उच्चारण में स्वर तंत्रियों में कंपन हो, सघोष वर्ण कहलाते हैं। हर वर्ग का तीसरा, चौथा और पांचवा व्यंजन। 

अल्पप्राण- जिन व्यंजनों के उच्चारण में मुख से कम हवा निकले उन्हें अल्पप्राण कहा जाता है। हर वर्ग का पहला, तीसरा और पांचवा व्यंजन। 
महाप्राण- जिन व्यंजनों के उच्चारण में मुख से अधिक हवा निकले, जिन व्यंजनों के उच्चारण में हकार की ध्वनि  विशेष रूप से सुनाई दें उन्हें महाप्राण व्यंजन कहते हैं। हर वर्ग का दूसरा और चौथा व्यंजन।