Sandhi Viched in Hindi and Sanskrit Thursday 21st of November 2024
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दो वर्णों के मेल से उत्पन्न विकार को व्याकरण में संधि कहते हैं अर्थात दो निर्दिष्ट अक्षरों के पास पास आने के कारण, उनके संयोग से जो विकार उत्पन्न होता है उसे संधि कहते हैं। जैसे विद्या + आलय = विद्यालय
सन्धि मुख्यतः तीन प्रकार की होती है। 1-स्वर संधि 2-विसर्ग संधि 3-व्यंजन संधि
Sandhi and sandhi viched in hindi
दो स्वरों के पास पास आने से जो सन्धि होती है उसे स्वर सन्धि कहते हैं। जैसे विद्या + आलय = विद्यालय, यहाँ पर अ+आ मिलकर आ हो जाता है इस लिए यह स्वर संधि है।
स्वर संधि के निम्न भेद हैं-
१-दीर्घ संधि
२-गुण संधि
३-वृद्धि संधि
४-यण संधि
५-अयादि संधि
Sandhi viched in hindi
सूत्र- अक: सवर्णे दीर्घ:
यदि प्रथम शब्द के अंत में हृस्व अथवा दीर्घ अ, इ, उ, में से कोई एक वर्ण हो और द्वितीय शब्द के आदि में उसी का समान वर्ण हो तो दोनों के स्थान पर एक दीर्घ हो जाता है। यह दीर्घ संधि कहलाती है।
जैसे -
(क) अ + अ = आ, अ + आ = आ, आ + अ = आ, आ + आ = आ
धर्म + अर्थ = धर्मार्थ (अ + अ = आ )
हिम + आलय = हिमालय (अ + आ = आ)
पुस्तक + आलय = पुस्तकालय (अ + आ =आ)
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी (आ + अ = आ)
विद्या + आलय = विद्यालय (आ + आ = आ)
(ख) इ + इ = ई, इ + ई = ई, ई + इ = ई, ई + ई = ई
रवि + इंद्र = रवींद्र (इ + इ = ई)
मुनि + ईश = मुनीश (इ + ई = ई)
मही + इंद्र = महींद्र (ई + इ = ई)
नदी + ईश = नदीश (ई + ई = ई)
(ग) उ + उ = ऊ, उ + ऊ = ऊ, ऊ + उ = ऊ, ऊ + ऊ = ऊ
भानु + उदय = भानूदय (उ + उ = ऊ)
लघु + ऊर्मि = लघूर्मि (उ + ऊ = ऊ)
वधू + उत्सव=वधूल्लेख (ऊ + उ = ऊ)
वधू + ऊर्जा=वधूर्जा (ऊ + ऊ = ऊ)
Sandhi viched in hindi
सूत्र- आद्गुणः
यदि प्रथम शब्द के अंत में हृस्व अथवा दीर्घ अ हो और दूसरे शब्द के आदि में हृस्व अथवा दीर्घ इ, उ,ऋ में से कोई वर्ण हो तो अ + इ = ए, आ + उ=ओ ,अ + ऋ = अर् हो जाता है। यह गुण संधि कहलाती है। जैसे -
(क) अ + इ = ए, अ + ई = ए, आ + इ = ए, आ + ई = ए
नर + इंद्र = नरेंद्र ( अ + इ = ए)
नर + ईश= नरेश (अ + ई = ए)
महा + इंद्र = महेंद्र (आ + इ = ए)
महा + ईश = महेश (आ + ई = ए)
(ख) अ + उ = ओ, आ + उ = ओ, अ + ऊ = ओ, आ + ऊ = ओ
ज्ञान + उपदेश = ज्ञानोपदेश (अ + उ = ओ)
महा + उत्सव = महोत्सव (आ + उ = ओ)
जल + ऊर्मि = जलोर्मि (अ + ऊ = ओ)
महा + ऊर्मि = महोर्मि (आ + ऊ = ओ)
(ग) अ + ऋ = अर्
देव + ऋषि = देवर्षि (अ + ऋ = अर्)
(घ) आ + ऋ = अर्
महा + ऋषि = महर्षि (आ + ऋ = अर्)
Sandhi viched in hindi
जब अ अथवा आ के बाद "ए" या "ऐ" आवे तब दोनों (अ +ए अथवा अ +ऐ) के स्थान पर "ऐ" और जब ओ अथवा औ आये तब दोनों स्थान में "औ" बृद्धि हो जाती है। इसे बृद्धि संधि कहते है। जैसे -
(क) अ + ए = ऐ अ + ऐ = ऐ, आ + ए = ऐ, आ + ऐ = ऐ
एक + एक = एकैक (अ + ए = ऐ)
मत + ऐक्य = मतैक्य (अ + ऐ = ऐ)
सदा + एव = सदैव (आ + ए = ऐ)
महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य (आ + ऐ = ऐ )
(ख) अ + ओ, आ + ओ = औ, अ + औ = औ, आ + औ = औ,
वन + औषधि = वनौषधि (अ + ओ = औ)
महा + औषधि = महौषधि ( आ + ओ = औ)
परम + औषध = परमौषध (अ + औ = औ)
महा + औषध = महौषध (आ + औ = औ)
Sandhi Viched In Hindi
सूत्र- इको यणचि
हृस्व अथवा दीर्घ इ, उ,ऋ के बाद यदि कोई सवर्ण ( इनसे भिन्न ) स्वर आता है तो इ अथवा ई के बदले य्,उ अथवा ऊ के बदले व्,ऋ के बदले र् हो जाता है। इसे यण संधि कहते है। जैसे -
यदि + अपि = यद्यपि (इ + अ = य् + अ)
इति + आदि = इत्यादि (ई + आ = य् + आ )
नदी + अर्पण = नद्यर्पण (ई + अ = य् + अ)
देवी + आगमन = देव्यागमन (ई + आ = य् + आ)
अनु + अय = अन्वय (उ + अ = व् + अ)
सु + आगत = स्वागत (उ + आ = व् + आ)
अनु + एषण = अन्वेषण (उ + ए = व् + ए)
पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा (ऋ + अ = र् + आ)
सूत्र- एचोऽयवायावः
ए, ऐ और ओ, औ के बाद जब कोई स्वर आता है तब "ए" के स्थान पर अय्, ओ के स्थान पर "अव" ऐ के स्थान पर आय, तथा औ के स्थान पर आव, हो जाता है। यह अयादि संधि कहलाती है। जैसे -
ने + अन = नयन ( ए + अ = अय् + अ)
गै + अक = गायक (ऐ + अ = आय् + अ)
पो + अन = पवन ( ओ + अ = अव् + अ)
पौ + अक = पावक (औ + अ = आव् + अ)
Ayaadi Sandhi अयादि संधि
सूत्र- एचोऽयवायावः
ए, ऐ और ओ, औ के बाद जब कोई स्वर आता है तब "ए" के स्थान पर अय्, ओ के स्थान पर "अव" ऐ के स्थान पर आय, तथा औ के स्थान पर आव, हो जाता है। यह अयादि संधि कहलाती है। जैसे -
ने + अन = नयन ( ए + अ = अय् + अ)
गै + अक = गायक (ऐ + अ = आय् + अ)
पो + अन = पवन ( ओ + अ = अव् + अ)
पौ + अक = पावक (औ + अ = आव् + अ)
विसर्ग के साथ स्वर अथवा व्यंजन के मिलाने से जो विकार उत्पन्न होता है, उसे विसर्ग संधि कहते हैं। जैसे -
निः + छल = निश्छल
दुः + शासन = दुश्शासन
मनः + अनुकूल = मनोनुकूल
मनः + बल = मनोबल
नमः + ते = नमस्ते
निः + रोग = निरोग
निः + फल = निष्फल
निः + कलंक = निष्कलंक
नियम 1- किसी वर्ग के पहले वर्ण क्, च्, ट्, त्, प् का मेल किसी वर्ग के तीसरे अथवा चौथे वर्ण या य्, र्, ल्, व्, ह या किसी स्वर से हो जाए तो क् को ग् च् को ज्, ट् को ड् और प् को ब् हो जाता है। जैसे -
दिक् + गज = दिग्गज (क् + ग = ग्ग)
वाक + ईश = वागीश (क् + ई = गी)
अच् + अंत = अजंत (च् + अ = ज्)
षट् + आनन = षडानन ( ट् + आ = डा)
नियम 2-यदि किसी वर्ग के पहले वर्ण (क्, च्, ट्, त्, प्) का मेल न् या म् वर्ण से हो तो उसके स्थान पर उसी वर्ग का पाँचवाँ वर्ण हो जाता है। जैसे -
अप् + मय = अम्मय
अच् + नाश = अंनाश
षट् + मास = षण्मास
उत् + नयन = उन्नयन
नियम 3- त् का मेल ग, घ, द, ध, ब, भ, य, र, व या किसी स्वर से हो जाए तो द् हो जाता है। जैसे -
जगत् + ईश = जगदीश
सत् + भावना = सद्भावना
भगवत् + भक्ति = भगवद्भक्ति
तत् + रूप = तद्रूप
सत् + धर्म = सद्धर्म
नियम 4- त् से परे च् या छ् होने पर च, ज् या झ् होने पर ज्, ट् या ठ् होने पर ट्, ड् या ढ् होने पर ड् और ल होने पर ल् हो जाता है। जैसे -
उत् + चारण = उच्चारण
सत् + जन = सज्जन
उत् + झटिका = उज्झटिका
तत् + टीका = तट्टीका
उत् + लास = उल्लास
नियम 5-यदि त् का मेल श् से हो तो त् को च् और श् का छ् बन जाता है। जैसे -
उत् + श्वास = उच्छ्वास
उत् + शिष्ट = उच्छिष्ट
सत् + शास्त्र = सच्छास्त्र
नियम 6-त् का मेल यदि ह् से हो तो त् का द् और ह् का ध् हो जाता है। जैसे -
उत् + हार = उद्धार
उत् + हरण = उद्धरण
तत् + हित = तद्धित
नियम 7-यदि स्वर के बाद छ् वर्ण आ जाए तो छ् से पहले च् वर्ण बढ़ा दिया जाता है। जैसे -
स्व + छंद = स्वच्छंद
आ + छादन = आच्छादन
संधि + छेद = संधिच्छेद
अनु + छेद = अनुच्छेद
नियम 8-यदि म् के बाद क् से म् तक कोई व्यंजन हो तो म् अनुस्वार में बदल जाता है। जैसे -
किम् + चित = किंचित
किम् + कर = किंकर
सम् + कल्प = संकल्प
सम् + चय = संचय
सम् + तोष = संतोष
नियम 9-म् के बाद य्, र्, ल्, व्, श्, ष्, स्, ह् में से कोई व्यंजन होने पर म् का अनुस्वार हो जाता है
सम् + योग = संयोग
सम् + रक्षण = संरक्षण
सम् + विधान = संविधान
सम् + वाद = संवाद
नियम 10-स् से पहले अ, आ से भिन्न कोई स्वर आ जाए तो स् को ष हो जाता है। जैसे -
अभि + सेक = अभिषेक
नि + सिद्ध = निषिद्ध
वि + सम + विषम