Avyay in Hindi

Avyay in Hindi, Avyay Meaning in Hindi Grammar, Kriyavisheshan Avyay in Hindi Examples, Vismayadibodhak Avyay in hindi, Keval Prayogi Avyay in Hindi, Sanskrit अव्यय Shabd list with Sentences, Avyay Worksheet in Hindi

अव्यय (Avyay)की परिभाषा-

जिन शब्दों के रूप सदा एक से बने रहते हैं, अर्थात जिनमें लिंग, वचन और कारक से कोई विकार नहीं होता है, उन्हें अव्यय या अविकारी शब्द कहते हैं। वस्तुतः किसी भी स्थिति में अव्यय का रूप वैसे का वैसे बना रहता है। Avyay in Hindi
जैसे- 
रवि तेज दौड़ता है। 
तुम तेज दौड़ते हो 
इसमें तेज शब्द सभी अवस्थाओं में एक समान है अतः अव्यय है। 

अव्यय (Avyay) के भेद-

अव्यय मुख्यतः चार प्रकार के होते हैं। 
१-क्रिया विशेषण अव्यय 
२-संबंधबोधक अव्यय 
३-समुच्चयबोधक अव्यय
४-विस्मयादिबोधक अव्यय

१-क्रिया विशेषण अव्यय-

अव्ययों अथवा अविकारी शब्दों में क्रिया विशेषण अधिक महत्वपूर्ण है। क्रिया विशेषण का अर्थ ही है क्रिया की विशेषता बताने वाला। 
जैसे बहुत बड़ा आदमी। 
बहुत दूर मत जाना। 
क्रिया विशेषण क्रिया के कर्ता, कर्म अथवा पूरक से संबंध रखने वाली विशेषताएं नहीं बतलाता बल्कि वह क्रिया के समय, स्थान, प्रयोजन, कारण विधि और परिणाम संबंधी विशेषताएं प्रकट करता है। 
अर्थात जो अव्यय क्रिया की विशेषता प्रकट करता है उसे क्रिया विशेषण अव्यय कहते हैं। जैसे- 
(I)- अधिक मत बोलो। 
(II)- कम खाओ 
ऊपर के दोनों वाक्यों में अधिक और कम क्रिया विशेषण है। 

Avyay Meaning in Hindi Grammar

क्रिया विशेषण के कार्य-

(I)- यह क्रिया की विशेषता बतलाता है। 
(II)- क्रिया के होने का ढंग बतलाता है। 
(III)- क्रिया के होने की निश्चित का तथा अनिश्चितता का बोध कराता है। 
(IV)- क्रिया के घटित होने की स्थिति आदि दर्शाता है। 
(IV)- क्रिया के होने में निषेध अथवा स्वीकृति का बोध कराता है। Kriyavisheshan Avyay in Hindi Examples

क्रिया विशेषण के भेद-

क्रिया विशेषण के भेद मुख्यतः तीन आधारों पर होते हैं जो निम्न प्रकार से हैं। 
(I)- अर्थ की दृष्टि से क्रिया विशेषण के भेद। 
(II)-प्रयोग की दृष्टि से क्रिया विशेषण के भेद। 
(III)- रूप की दृष्टि से क्रिया विशेषण के भेद। 

(I)- अर्थ की दृष्टि से क्रिया विशेषण के भेद-

अर्थ की दृष्टि से क्रिया विशेषण के पांच भेद होते हैं-

१-स्थान वाचक- जिस क्रिया विशेषण शब्द द्वारा क्रिया के होने के स्थान का बोध हो वह स्थान वाचक क्रिया विशेषण कहलाता है। इसमें ज्यादातर यह शब्द प्रयोग में आते हैं भीतर, बाहर, अंदर, यहां, वहां, किधर, इधर-उधर, कहां, जहां, दूर, अन्यत्र, इस ओर, उस ओर, दाएं, बाएं, ऊपर, नीचे आदि। 

२-काल वाचक- क्रिया विशेषण शब्द से कार्य के होने का समय ज्ञात हो तो वह काल वाचक क्रिया विशेषण कहलाता है। इसमें बहुदा ये शब्द प्रयोग में आते हैं- यदा, कदा,जब, तब, हमेशा, तभी, तत्काल, निरंतर, शीघ्र, पूर्व, बाद, पीछे, घड़ी-घड़ी, अब, तत्पश्चात, कल, कई बार, अभी, फिर कभी आदि। Avyay in Hindi


३-रीतिवाचक - जिन शब्दों के द्वारा क्रिया के संपन्न होने की रीति का बोध होता है वे रीती वाचक  क्रिया विशेषण कहलाते हैं। 
इनमें झटपट, आप ही आप, ध्यान पूर्वक ,धड़ाधड़, यथा, ठीक, सचमुच, अवश्य, वास्तव में, निस्संदेह, बेशक, शायद, संभव है, कदाचित, बहुत करके, ठीक, सच, जी, जरूर, आते हो, इसलिए, क्योंकि, नहीं, कभी नहीं, कदापि नहीं आदि शब्द आते हैं। 


४-परिमाणवाचक - जो शब्द क्रिया का परिमाण बतलाते हैं वह परिमाणवाचक क्रिया विशेषण कहलाते हैं। इसमें बहुदा थोड़ा-थोड़ा, अत्यंत, अधिक, अल्प, बहुत, कुछ, पर्याप्त, तक, कम, न्यून, बूंद बूंद, स्वल्प, केवल आदि शब्द प्रयोग में आते हैं। Avyay in Hindi

५-गुणवाचक- जो क्रियाऐं विशेषण का गुण बताती हैं उन्हें गुण वाचक क्रिया विशेषण कहते हैं। जैसे कोयल मीठा बोलती है मैं मीठा गुण वाचक क्रिया विशेषण है। 

(II)-प्रयोग की दृष्टि से क्रिया विशेषण के भेद-

प्रयोग की दृष्टि से क्रिया विशेषण के तीन भेद है 
१-साधारण क्रिया विशेषण-  वाक्य में स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त होने वाले क्रिया विशेषण को साधारण क्रिया विशेषण कहते हैं। जैसे-वहां, कब, जल्दी आदि। 

२-संयोजक क्रिया विशेषण- उपवाक्य से संबंधित क्रिया विशेषण को संयोजक क्रिया विशेषण कहते हैं। जैसे- जहां आप पढेंगे, वहां मैं भी पढ़ूंगा। (जहां, वहां) जब आप कहेंगे, तब मैं जाऊंगा। (जब, तब )

३-अनुबंध क्रिया विशेषण- किसी शब्द के साथ अवधारणा के लिए प्रयुक्त होने वाले क्रिया विशेषण को, अनुबंध क्रिया विशेषण कहते हैं। जैसे- तो, भी, तक, भर आदि। 

(III)- रूप की दृष्टि से क्रिया विशेषण के भेद- 

रूप की दृष्टि से क्रिया विशेषण के तीन भेद है। 

१-मूल क्रिया विशेषण। 
२-यौगिक क्रिया विशेषण। 
३-स्थानीय क्रिया विशेषण।

Avyay in Hindi

२- संबंधबोधक अव्यय

परिभाषा-

वे अव्यय, जिनसे संज्ञा व सर्वनाम का संबंध वाक्य के दूसरे शब्दों से जाना जाता है, संबंधबोधक अव्यय कहलाते हैं। याद रखें जो संबंध का बोध कराता है वह संबंधबोधक कहलाता है। जैसे- अनुकूल, अनुसार, आसपास, आगे, ओर आदि।  Keval Prayogi Avyay in Hindi.

संबंधबोधक अव्यय के भेद-

संबंधबोधक अव्यय के भेद मुख्यतः तीन आधारों पर होते हैं, जो निम्न प्रकार से हैं। 
(I)- प्रयोग के आधार पर 
(II)- अर्थ के आधार
(III)-  व्युत्पत्ति के आधार पर


(I)-  प्रयोग के आधार पर संबंधबोधक अव्यय के भेद- 

प्रयोग की दृष्टि से संबंध बोधक अव्यय के दो भेद हैं:-
प्रयोग की दृष्टि से संबंध बोधक अव्यय के दो भेद है। 
१-सम्ब्द्ध संबंध बोधक अव्यय। 
२-अनुबद्ध संबंधबोधक अव्यय। 


(II)- अर्थ के आधार पर संबंधबोधक अव्यय के भेद:-

अर्थ की दृष्टि से संबंधबोधक अव्यय के 13 भेद हैं। इन भेदों के नाम और उदाहरण निम्न हैं। 
१-कालवाचक संबंधबोधक
२-स्थानवाचक संबंधबोधक
३-सदृश्य वाचक संबंधबोधक
४-तुलनवाचक संबंधबोधक
५-दिशाबोधक संबंधबोधक
६- साधनवाचक संबंधबोधक
७-हेतुवाचक संबंधबोधक
८-विषयवाचक संबंधबोधक
९-व्यतिरेक वाचक संबंधबोधक
१०-विनिमय वाचक संबंधबोधक
११-सहचर वाचक संबंधबोधक
१२-विरोध वाचक संबंधबोधक
१३-संग्रवाचक संबंधबोधक
 

(III)- व्युत्पत्ति के आधार पर संबंधबोधक अव्यय के भेद:-

व्युत्पत्ति की दृष्टि से संबंधबोधक अव्यय के दो भेद हैं। 
१-मूल संबंधबोधक 
२-यौगिक संबंधबोधक 
१-मूल संबंधबोधक- बिना, पर्यंत, पूर्वक आदि। 
२-यौगिक संबंधबोधक- 
संज्ञा से:- अपेक्षा, पलटे, मार्फत आदि।  
विशेषण से:- समान, योग्य, ऐसा, उल्टा, तुल्य आदि। 
क्रिया से:- लिए, मारे, चलते, कर, जाने आदि। 
क्रिया विशेषण से: पीछे, परे, पास आदि। 

Sanskrit Avyaya Shabd list with Sentences.

.

3-समुच्चयबोधक अव्यय की परिभाषा-

दो वाक्यों अथवा शब्दों को मिलाने वाले अव्यय को समुच्चयबोधक अव्यय कहते हैं। जैसे- हंस दूध और पानी को अलग कर देता है। इसमें और शब्द समुच्चयबोधक है, क्योंकि यह दूध और पानी शब्दों को जोड़ता है। 
समुच्चयबोधक अव्यय के भेद:-
समुच्चयबोधक अव्यय के दो भेद होते हैं। 
१- संयोजक:- जो शब्दों अथवा वाक्यों को जोड़ते हैं; जैसे ऊपर के वाक्यों में और। 
२-विभाजक:- जो शब्दों अथवा वाक्यों में जोड़ते हुए भी उनके अर्थों को एक दूसरे से अलग करते हैं: जैसे- विनोद अथवा बिनय उत्तर दें। 
अथवा, या, व, परंतु ,पर, लेकिन, बल्कि, नहीं, चाहे आदि विभाजक है। 

Avyay Worksheet in Hindi.

4-विस्मयादिबोधक अव्यय की परिभाषा-

हर्ष, शोक, विस्मय आदि भावों को प्रकट करने वाले अव्यय को विस्मयादिबोधक अव्यय कहते हैं। जैसे:- अरे !क्या तुम ने नहीं सुना ? इसमें अरे विस्मय प्रकट करता है, अतः विस्मयादिबोधक अव्यय है।वाह, अरे, धिक, ओह, हाय आदि विस्मयादिबोधक अव्यय हैं। Avyay in Hindi.

विस्मयादिबोधक अव्यय के भेद-

विस्मयादिबोधक अव्यय के मुख्यतः सात भेद होते हैं। 
१-हर्ष बोधक-अहा !, वाह-वाह !, बहुत खूब !, शाबाश ! आदि। 
२- विषाद बोधक- हाय !, ओह आदि। 
३-आश्चर्य बोधक- क्या !, ऐं !,  हैं ! आदि। 
४-अनुमोदन बोधक- अच्छा !, हां-हां, ठीक ! आदि।
५-तिरस्कार बोधक -दुर !, छिक आदि। 
६-स्वीकार बोधक-  जी !, जी हाँ !, हाँ ! आदि। 
७-सम्बोधन बोधक-अरे !, रे !, अजी ! आदि। 

Avyay in Hindi.