Shringar Ras Thursday 21st of November 2024
Shringar ras in hindi, Shringar ras ki Paribhasha, Shringar ras kya hota hai full notes, Sanyog Shringar ras ke Udaharan easy, Shringar ras poems in hindi, Easy Example of viyog shringar ras in hindi, Shringar ras simple example in hindi.Shringar Ras जहां पर नायक- नायिका, प्रेमी- प्रेमिका, स्त्री- पुरुष, पति-पत्नी के प्रेम का वर्णन होता है वहां श्रृंगार रस होता है। Shringar Ras श्रृंगार रस के व्यापक दायरे में वत्सल रस, भक्ति रस आ जाते हैं इसलिए रसों की संख्या 9 ही मानना ज्यादा उपयुक्त है। श्रृंगार रस रस दो प्रकार के होते हैं 1- संयोग श्रृंगार रस 2-वियोग श्रृंगार रस
Shringar Ras Kya Hota Hai Full Notes-
श्रृंगार रस (Shringar Ras) में नायक और नायिका के मन में संस्कार रूप में स्थित रति या प्रेम जब रस के अवस्था में पहुंच जाता है तो वह श्रृंगार रस (Shringar Ras) कहलाता है। इसके अंतर्गत वसंत ऋतु, सौंदर्य, प्रकृति, सुंदर वन, पक्षियों श्रृंगार रस के अंतर्गत नायिकालंकार ऋतु तथा प्रकृति का वर्णन भी किया जाता है। श्रृंगार रस (Shringar Ras) को रसराज या रसपति भी कहा जाता है।
तरनि तनुजा तट तमाल तरुवर बहु छाये।
झके कूल सों जल परसन हित मनहुँ सुहाये।।
Shringar Ras
बतरस लालच लाल की मुरली धरी लुकाय ।
सौंह करै, भौंहनु हँसे, देन कै नटि जाय ॥
श्रृंगार रस के दो भेद होते हैं संयोग श्रृंगार और वियोग श्रृंगार
जब नायक नायिका के परस्पर मिलन, स्पर्श, आलिंगन, वार्तालाप आदि का वर्णन होता है तब वहां पर संयोग श्रृंगार रस होता है। Shringar Ras
बतरस लालच लाल की मुरली धरी लुकाय,
सौंह करे भौंहन हंसे देन कहे नटि जाय!!
थके नयन रघुपति छवि देखे।
पलकन्हि हु परिहरि निमेखे।।
अधिक सनेह देह भई भोरी।
सरद ससिहि जनु चितव चकोरी।।
Shringar Ras
राम के रूप निहारति जानकी कंकन के नग की परछाहीं ।
याती सबै सुधि भूलि गई, कर टेकि रही पल टारत नाहीं ।
जहां पर नायक-नायिका का परस्पर प्रबल प्रेम हो लेकिन मिलन न हो अर्थात नायक-नायिका के वियोग का वर्णन हो वहां पर वियोग रस होता है।
वियोग श्रृंगार रस का स्थायी भाव रति होता है
उधो, मन न भए दस बीस।
एक हुतो सो गयौ स्याम संग, को अवराधै ईस॥
इन्द्री सिथिल भईं सबहीं माधौ बिनु जथा देह बिनु सीस।
स्वासा अटकिरही आसा लगि, जीवहिं कोटि बरीस॥
Shringar Ras
तुम तौ सखा स्यामसुन्दर के, सकल जोग के ईस।
सूरदास, रसिकन की बतियां पुरवौ मन जगदीस॥
पुनि वियोग सिंगार हूँ दीन्हौं है समुझाइ।
ताही को इन चारि बिधि बरनत हैं कबिराइ॥
इक पूरुब अनुराग अरु दूजो मान विसेखि।
तीजो है परवास अरु चौथो करुना लेखि॥
इन काहू सेयो नहीं पाय सेयती नाम।
आजु भाल बनि चहत तुव कुच सिव सेयो बाम॥
बेलि चली बिटपन मिली चपला घन तन माँहि।
कोऊ नहि छिति गगन मैं तिया रही तजि नाँहि॥
Shringar Ras
रस के भेद-
रस 9 प्रकार के होते हैं परन्तु वात्सल्य एवं भक्ति को भी रस माना गया हैं।
१- श्रंगार रस Shringar Ras
२- हास्य रस Hasya Ras
३- वीर रस Veer Ras
४- करुण रस Karun Ras
५- शांत रस Shant Ras
६- अदभुत रस Adbhut Ras
७- भयानक रस Bhayanak Ras
८- रौद्र रस Raudra Ras
९- वीभत्स रस Vibhats Ras
१०- वात्सल्य रस Vatsalya Ras
११- भक्ति रस Bhakti Ras