Alankar in Hindi Tuesday 10th of December 2024
Alankar in hindi अलंकार और उसके भेद परिभाषा सहित अलंकार का शाब्दिक अर्थ- जिस प्रकार स्त्रियाँ स्वयं को सजाने के लिए आभूषणों का उपयोग करती हैं, उसी प्रकार कवि या लेखक भाषा को शब्दों या उनके अर्थो से सजाते है | वे शब्द या अर्थ जिससे किसी वाक्य को सजाया जाता है अलंकार कहलाता है। Manvikaran Alankar in hindi grammar. Alankar ke Udaharan. Alankar in Hindi Grammar - अलंकार किसे कहते हैं परिभाषा और उदाहरण सहित वर्णन कीजिए. Definition of Alankar, What is Alankar and Alankar Word's Meaning in hindi. Important Tips for Identifying Alankar.Alankar Ke Bhed, Differentiation of Sabdalankar. Hey students here you can read Alankar in Hindi Grammar with अलंकार के भेद and full example like all shabdalankar, all arthalankar in hindi at igkhindi.com
अलंकार में "अलम" और "कार" दो शब्द है। "अलम" का अर्थ है भूषण या सजावट। अर्थात जो अलंकृत या घोषित करें वह अलंकार है। स्त्रियां अपने साज श्रृंगार के लिए आभूषणों का प्रयोग करती हैं, अतएव आभूषण अलंकार कहलाते हैं। ठीक इसी प्रकार कविता कामिनी अपने श्रृंगार और सजावट के लिए जिन तत्वों का उपयोग प्रयोग करती है वह अलंकार कहलाते हैं।
अलंकार के संबंध में प्रथम काव्य शास्त्रीय परिभाषा आचार्य दंडी की है-काव्यशोभाकरान धर्मान अलंकारन प्रचक्षते।
अर्थात हम कह सकते हैं कि "काव्य की शोभा कारक धर्म अलंकार है"।
शब्द और अर्थ की शोभा बढ़ाने वाले धर्म (जिस गुण के द्वारा उपमेय तथा उपमान में समानता स्थापित की जाय) को अलंकार कहते हैं।
अलंकार वाणी के श्रृंगार हैं, भाषा और साहित्य का सारा कार्य -व्यापर शब्द और अर्थ पर ही निर्भर है, अतएव विशिष्ट शब्द चमत्कार अथवा अर्थ वैशिष्ट्य ही कथन के संदर्भ की अभिवृद्धि करता है।
A. शब्दालंकार
B. अर्थालंकार
C. उभयालंकार
जहां शब्दों के कारण शोभा बढ़ जाए वहां शब्दाअलंकार होता है।अर्थात जिस अलंकार में शब्दों को प्रयोग करने से चमत्कार हो जाता है और उन शब्दों की जगह पर समानार्थी शब्द को रखने से वो चमत्कार समाप्त हो जाये वहाँ शब्दालंकार होता है।
1-अनुप्रास अलंकार (Rupak Alankar)
2-यमक अलंकार (Yamak Alankar)
3-पुनरुक्ति अलंकार (Punrukti Alankar)
4-विप्सा अलंकार Vipsa Alankar)
5-वक्रोक्ति अलंकार (Vakrokti Alankar)
6-श्लेष अलंकार (Shlesh Alankar)
अनुप्रास शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है – अनु + प्रास जहाँ पर अनु का अर्थ है- बार -बार और प्रास का अर्थ होता है – वर्ण, अर्थात जहां एक वर्ण या अक्षर कई बार आए वहां अनुप्रास अलंकार Anupras Alankar)होता है। जैसे- चंदन ने चमेली को चम्मच से चॉकलेट चटाई।Alankar In Hindi
१-छेकानुप्रास अलंकार
२-वृत्यानुप्रास अलंकार
३-लाटानुप्रास अलंकार
४-अन्त्यानुप्रास अलंकार
५-श्रुत्यानुप्रास अलंकार
जहां पर एक वर्ण या अक्षर दो बार आए वहां छेकानुप्रास अलंकार होता है।
जैसे-
चौदहवीं का चांद हो, या आफताब हो
जो भी हो तुम खुदा की कसम, लाजवाब हो।
जहां पर एक वर्ण या अक्षर दो से ज्यादा बार आए वहां वृत्यानुप्रास अलंकार होता है।
जैसे-
चन्दन ने चमेली को चम्मच से चटनी चटाई।
जहां पर एक शब्द कई बार आए, पर उसका अर्थ एक ही हो, पर वाक्य का अर्थ बदल जाए वहां लाटानुप्रास अलंकार होता है।
जैसे-
धीरे धीरे से मेरी जिंदगी में आना धीरे धीरे दिल को चुराना।
जहां पर पंक्ति के अंत के वर्ण समान हो वहां अंत्यानुप्रास अलंकार होता है।
जैसे-
तुझे देखा तो यह जाना सनम
प्यार होता है दीवाना सनम।
जहां पर वर्णमाला के किसी एक वर्ग के वर्ण कई बार आए वहां पर श्रुत्यानुप्रास अलंकार होता है।
जैसे-
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा जैसे,
खिलता गुलाब, जैसे शायर का ख्वाब।
जैसे :- कनक कनक ते सौगुनी , मादकता अधिकाय।
वा खाये बौराए नर , वा पाये बौराये।
कुर्बान मेरी जान, जान तुझ पर कुर्बान हो जाऊंगा
जैसे-
रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून।
पानी गए न उबरै मोती मानस चून।।
पुनरुक्ति अलंकार दो शब्दों से मिलकर बना है, पुन: +उक्ति। जब कोई शब्द दो बार दोहराया जाता है वहाँ पर पुनरुक्ति अलंकार होता है।
Alankar In Hindi
जब आदर, हर्ष, शोक, विस्मयादिबोधक आदि भावों को प्रभावशाली रूप से व्यक्त करने के लिए शब्दों की पुनरावृत्ति को ही विप्सा अलंकार (Vipsa Alankar) कहते है।
जैसे-
मोहि-मोहि मोहन को मन भयो राधामय।
राधा मन मोहि-मोहि मोहन मयी-मयी।।
जहाँ पर वक्ता के द्वारा बोले गए शब्दों का श्रोता अलग अर्थ निकाले उसे वक्रोक्ति अलंकार (Vakrokti Alankar) कहते है।
जैसे-
मैं सुकुमारि नाथ बन जोगू।
जब किसी वाक्य या छंद को अर्थो के आधार पर सजाया जाता है तो ऐसे अलंकार को अर्थालंकार कहते हैं। अर्थालंकार निम्न प्रकार के होते हैं।
जहाँ किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना या समानता का वर्णन किसी अन्य व्यक्ति या वस्तु के स्वाभाव, स्थिति, रूप और गुण से की जाय तो वहाँ उपमा अलंकार होता है।जैसे - शीला के गाल चंपा जैसे गोरे हैं।
उपमा अलंकार के उदाहरण-
1-सागर -सा गंभीर ह्रदय हो ,
गिरी -सा ऊँचा हो जिसका मन।
2-पीपर पात सरिस मन डोला।
3-चाँद जैसे मुखरे पर बिंदियाँ सितारा।
4-नागिन सा रूप है तेरा।
इसके चार अंग है।
उपमेय- जिस व्यक्ति या वस्तु की तुलना की जा रही हो।
उपमान-जिस व्यक्ति या वस्तु से तुलना की जाए।
सामान्य धर्म- वह गुण जिससे दोनों व्यक्ति या वस्तु की तुलना की जाए।
वाचक शब्द- वह शब्द जो तुलना करने के लिए उपयोग हो रहा हो, जैसे -सा,सी,से,सरिस,ते आदि।
जहाँ पर उपमेय और उपमान में कोई अंतर न दिखाई दे वहाँ रूपक अलंकार होता है। अथार्त जहाँ पर उपमेय और उपमान के बीच के भेद को समाप्त करके उसे एक कर दिया जाता है वहाँ पर रूपक अलंकार होता है।जैसे- ये रेशमी जुल्फें यह शरबती आंखें, इन्हें देख कर जी रहे हैं सभी।
उदाहरण-
1-चरण कमल बन्दों हरिराई।
2-सब प्राणियों के मत्त मनोमयूर अहा नचा रहा।
3-अपरस रहत स्नेह तगा तैं, प्रीति-नदी में पाऊं न बोरयों।
4-मैया मैं तो चन्द्र खिलौना लैहों।
5-उदित उदय गिरी मंच पर, रघुवर बाल पतंग।
विगसे संत- सरोज सब, हरषे लोचन भ्रंग।।
जहाँ उपमेय में उपमान की संभावना प्रकट की जाये वहाँ पर उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। इसमें मानों, मनु, जानों, जनहु आदि शब्द लगे रहते है।
जैसे -
उसकाल मारे क्रोध के तनु काँपने उनका लगा।
मानों हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा।।
यहाँ मानो शब्द का प्रयोग हुआ है, और तन (उपमेय) में उपमान (सागर) की संभावना प्रकट की गई है।
पहचान- जहां एक व्यक्ति या वस्तु के समान(एक जैसे) होने की संभावना या कल्पना व्यक्त की जाए।कल पार्टी में मुन्नी बहुत खूबसूरत लग रही थी, मानो सनी लियोन आ गई हो।
उदाहरण-
1-सखि सोहत गोपाल के, उर गुंजन की माल।
बाहर सोहत मनु पिये, दावानल की ज्वाल।।
2-पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के
3-कल पार्टी में मुन्नी बहुत खूबसूरत लग रही थी, मानो सनी लियोन आ गई हो।
जहाँ किसी व्यक्ति या वस्तु का वर्णन बहुत बढ़ा चढ़ा कर किया जाता है वहाँ पर अतिश्योक्ति अलंकार होता है।
पहचान- जहां किसी व्यक्ति या वस्तु को बढ़ा चढ़ाकर वर्णन किया जाए वहां अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
आगे नदिया पड़ी अपार, घोड़ा कैसे उतरे उस पार।
राणा ने सोचा इस पार, तब तक चेतक था उस पार।
हनुमान की पूंछ में लग न पाई आग।
लंका सिगरी जल गए, गए निशाचर भाग। ।
जहाँ पर काव्य में जड़ में चेतन का आरोप होता है वहाँ पर मानवीकरण अलंकार होता है अथार्त जहाँ जड़ प्रकृति पर मानवीय भावनाओं और क्रियांओं का आरोप हो वहाँ पर मानवीकरण अलंकार होता है।
जैसे-
बीती विभावरी जागरी , अम्बर पनघट में डुबो रही तास घट उषा नगरी।
जहाँ किसी उक्ति के माध्यम से किसी अन्य को कोई बात कही जाए, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है |
जैसे -
फूलों के आस-पास रहते हैं, फिर भी काँटे उदास रहते हैं