गुलाम वंश Thursday 21st of November 2024
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गुलाम वंश का संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक था। कुतुबुद्दीन ऐबक मोहम्मद गौरी का गुलाम था जो निशापुर के प्रधान काजी फखरुद्दीन से मोहम्मद गोरी द्वारा खरीदा गया था। मोहम्मद गौरी की 1206 ईस्वी में उसके किसी शत्रु के द्वारा हत्या कर दी गई। तत्पश्चात मोहम्मद गोरी के कोई उत्तराधिकारी ना होने के कारण दिल्ली सल्तनत का शासक कुतुबुद्दीन ऐबक बना। गुलाम वंश ने दिल्ली सल्तनत कर 1206 ईस्वी से 1290 ईसवी तक राज किया था । कुतुबुद्दीन ऐबक तुर्किस्तान का निवासी था। कुतुबुद्दीन ऐबक अत्यंत साहसी कर्तव्यनिष्ठ एवं स्वामी भक्त प्रकार का व्यक्ति था। इसलिए मोहम्मद गोरी ने कुतुबुद्दीन ऐबक को अस्तबल का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया था। तराइन के द्वितीय युद्ध में पृथ्वीराज चौहान को पराजित कर मारने के बाद कुतुबुद्दीन भारतीय प्रदेशों का सूबेदार भी नियुक्त किया गया था। इस तरह से कुतुबुद्दीन ऐबक ने गुलाम वंश की स्थापना की । Slave dynasty in hindi
गुलाम वंश के शासकों का क्रम एवं कार्यकाल निम्न प्रकार से है।
1-कुतुबुद्दीन ऐबक (1206 ईस्वी-1210 ईस्वी)
2-आरामशाह (1210 ईस्वी-1211 ईस्वी)
3-इल्तुतमिश (1211 ईस्वी-1236 ईस्वी)
4-रुक्नुद्दीन फिरोजशाह (1236 ईस्वी)
5-रजिया सुल्तान (1236 ईस्वी-1240 ईस्वी)
6-बहरामशाह (1240 ईस्वी-1242 ईस्वी)
7-अलाउद्दीन मसूदशाह (1242 ईस्वी-1246 ईस्वी)
8-नासिरुद्दीन महमूद शाह (1246 ईस्वी-1265 ईस्वी)
9-गयासुद्दीन बलबन (1265 ईस्वी-1287 ईस्वी)
10-अज़ुद्दीन कैकुबाद (1287 ईस्वी-1290 ईस्वी
11-क़ैयूमर्स (1290 ईस्वी)
गुलाम वंश की स्थापना 1206 ईस्वी में कुतुबुद्दीन ऐबक ने किया था।
कुतुबुद्दीन ऐबक मोहम्मद गौरी का गुलाम था। Ghulam Vansh
कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपना राज्यभिषेक 24 जून 1206 ईस्वी को किया था।
कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपनी राजधानी लाहौर में बनाई थी।
कुतुब मीनार की नींव कुतुबुद्दीन ऐवक ने डाली थी। क़ुतुब मीनार का पूर्ण निर्माण इल्तुतमिश द्वारा कराया गया था।
दिल्ली का कुवत उल इस्लाम मस्जिद एवं अजमेर का डाई दिन का झोपड़ा नामक मस्जिद का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने ही करवाया था। Ghulam Vansh
कुतुबुद्दीन ऐबक को लाल बख़्स (लाखों का दान देने वाला) भी कहा जाता था।
प्राचीन काल का विश्वविद्यालय नालंदा विश्वविद्यालय को तोड़ने वाला कुतुबुद्दीन ऐबक का सहायक सेनानायक बख्तियार खिलजी था।
गुलाम वंश के संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु 1210 ईस्वी में चौगान खेलते समय घोड़े से गिरकर हुई थी। Ghulam Vansh
कुतुबुद्दीन ऐबक को लाहौर में में दफनाया गया था।
कुतुबुद्दीन ऐबक का उत्तराधिकारी आरामशाह हुआ जिसने सिर्फ 8 महीनों तक ही शासन किया था।
आराम शाह की हत्या करके इल्तुतमिश 1211 ईस्वी में दिल्ली की सिंहासन पर बैठा।
इल्तुतमिश तुर्किस्तान का इल्बरी तुर्क था, जो कुतुबुद्दीन ऐबक का गुलाम एवं दामाद था। कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु के समय इल्तुतमिश बदायूं का गवर्नर था। Ghulam Vansh
इल्तुतमिश ने ही राजधानी को लाहौर से स्थानांतरित कर के दिल्ली लाया था। इल्तुतमिश ने हौज-ए सुल्तानी का निर्माण देहली-ऐ-कुहना के निकट करवाया था।
इल्तुतमिश ऐसा पहला शासक था जिसने 1229 में बगदाद के खलीफा से सुल्तान पद की वैधानिक स्वीकृति प्राप्त की थी।
इल्तुतमिश की मृत्यु अप्रैल 1236 ईसवी में हुआ था।
चंगेज खान से बचने के लिए जलालुद्दीन को इल्तुतमिश ने अपने यहां शरण नहीं दी थी। Ghulam Vansh
इल्तुतमिश के बाद उसका पुत्र रुकनुद्दीन फिरोज गद्दी पर बैठा, वह एक अयोग्य शासक था। ततपस्चात तुर्की अमीरों ने उनको हटाकर रजिया सुल्तान को सिंहासन पर आसीन किया। इस प्रकार रजिया बेगम प्रथम मुस्लिम महिला शासिका थी जिसने शासन की बागडोर संभाली। Ghulam Vansh
रजिया सुल्तान ने पर्दा प्रथा का त्याग कर तथा पुरुषों की तरह चोगा एवं कुलह पहनकर राज दरबार में खुले मुंह से आने लगी।
रजिया ने मलिक जमालुद्दीन याकूब को अमीरे अखुर (घोड़े का सरदार) नियुक्त किया।
गैर तुर्कों को सामंत बनाने के रजिया के प्रयासों से तुर्की अमीर विरुद्ध हो गए और उसे बंदी बना कर दिल्ली की गद्दी पर मोईजुद्दीन बहराम शाह को बैठा दिया।
रजिया की शादी अल्तूनिया के साथ हुयी। इससे शादी करने के बाद रजिया ने पुनः गद्दी प्राप्त करने का प्रयास किया लेकिन वह असफल रही।
13 अक्टूबर 1240 ईसवी को डाकुओं के द्वारा कैथल पास रजिया की हत्या कर दी गई।
बहराम शाह को बंदी बनाकर उसे उसकी हत्या मई 1242 ईस्वी में कर दी गई।
बहराम शाह के बाद दिल्ली का सुल्तान अलाउद्दीन मसूद शाह 1242 ईस्वी में बना।
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बलबन ने खडयंत्र के द्वारा 1246 ईस्वी में अलाउद्दीन मसूद साह को सुल्तान के पद से हटाकर नासिरुद्दीन महमूद को सुल्तान बना दिया। Ghulam Vansh History In Hindi Pdf
नासीरुद्दीन महमूद ऐसा सुल्तान था जो टोपी सी कर अपना जीवन निर्वाह करता था।
बलबन ने अपनी पुत्री का विवाह नासीरुद्दीन महमूद के साथ किया था।
बलबन का वास्तविक नाम बहाउद्दीन था वह इल्तुतमिश का गुलाम था।
तुर्कान-ऐ-चिहलगानी का विनाश बलबन ने ही किया था।
बलबन 1266 ईस्वी में गयासुद्दीन बलबन के नाम से दिल्ली की गद्दी पर बैठा। यह मंगोलो के आक्रमण से दिल्ली की रक्षा करने में सफल रहा।
राजदरबार में सिजदा एवं पैबोस प्रथा की शुरुआत बलबन ने ही की थी।
बलबन ने फ़ारसी रीति रिवाज पर आधारित नवरोज उत्सव को प्रारंभ करवाया था।
अपने विरोधियों के प्रति बलबन ने कठोर "लौह एवं रक्त" की नीति का पालन किया।
बलबन के दरबार में फारसी के प्रसिद्ध कवि अमीर खुसरो, अमीर हसन रहते थे।
गुलाम वंश का अंतिम शासक शमुद्दीन क़ैयूमर्स था। Ghulam Vansh History In Hindi Pdf