1857 Ki Kranti

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम (1857 की क्रांति) की प्रथम महत्वपूर्ण घटना 29 मार्च 1857 ईसवी को बैरकपुर की छावनी में घटित हुई, जहां मंगल पांडे नामक एक सिपाही ने चर्बी लगे कारतूस के प्रयोग से इनकार करते हुए अपने अधिकारी लेफ्टिनेंट बाग और लेफ्टिनेंट जनरल ह्यूसन की हत्या कर दी।

1857 की क्रांति का वास्तविक आरंभ मेरठ छावनी से हुआ। 10 मई 1857 ईसवी को मेरठ छावनी की पैदल सैनिक टुकड़ी ने चर्बी वाले कारतूसों के प्रयोग से इंकार कर दिया और अपने उच्च अधिकारियों की हत्या कर दिल्ली की ओर प्रस्थान किया।

11 मई 1857 को प्रातः विद्रोहियों ने दिल्ली पर अधिकार कर मुगल सम्राट बहादुर शाह द्वितीय को पुनः अपना सम्राट घोषित किया।

दिल्ली विजय के समाचार ने द्रुतगति से संपूर्ण देश को अचंभित कर दिया और शीघ्र ही इस विद्रोह में कानपुर, लखनऊ, बरेली, जगदीशपुर, झांसी, अलीगढ़, रूहेलखंड, इलाहाबाद, फैजाबाद, ग्वालियर, आदि को अपनी लपेट में ले लिया।

दिसंबर 1858 तक अंग्रेजों द्वारा इस विद्रोह का दमन कर दिया गया और संपूर्ण भारत में पुनः अंग्रेजी सत्ता स्थापित हो गई।

केंद्रक्रन्तिकारीविद्रोह तिथिउन्मूलन तिथिउन्मूलन अधिकारी
दिल्लीबहादुरशाह जफर, बख्त खां11 मई 185720 सितंबर 1857निकलसन, हडसन
कानपुरनाना साहब, तात्या टोपे5 जून 1857दिसंबर  1857 कैंपबेल
लखनऊबेगम हजरत महल4 जून 185731 मार्च 1858कैंपबेल
झांसीरानी लक्ष्मीबाई4 जून 185717 जून 1858ह्यूरोज
इलाहाबादलियाकत अलीजून 18571858कर्नल नील
जगदीशपुर (बिहार )कुँवर सिंह 12 जून 1857दिसंबर  1858विलियम टेलर , विंसेट आयर
बरेलीखान बहादुर खांजून 18571858बिसेन्ट आयर
फैजाबादमौलवी अहमद उल्लाजून 18571858जनरल रेनार्ड
फतेहपुरअजीमुल्ला18571858जनरल रेनर्ड

 

इतिहासकार सुंदरलाल ने लिखा है कि इस राष्ट्रीय प्रयत्न की तह में उतनी ही गहरी योजना और उतनी ही व्यापक और गुप्त संगठन था, इस विशाल योजना का सूत्रपात कानपुर के समीप बिठूर या लंदन में हुआ था।

यह भी कहा जाता है कि नाना साहब (धुंधूपंत) के निकटस्थ अजीमुल्ला खान सतारा के अपदस्थ राज्य के निकटवर्ती रणोजी बापू ने लंदन में क्रांति की योजना बनाई थी।

अजीमुल्ला ने बिठूर (कानपुर) में नाना साहब के साथ मिलकर क्रांति की योजना को अंतिम रूप देते हुए 31 मई, 1857 की क्रांति का दिन निश्चित किया था।1857 ki kranti in hindi

1857 की क्रांति की सबसे महत्वपूर्ण और पहली घटना बैरकपुर की छावनी में घटित हुई जहां 29 मार्च 1857 को मंगल पांडे नामक सिपाही ने गाय और सूअर की चर्बी से तैयार कारतूस के प्रयोग से इंकार कर दिया और अपने उच्च अंग्रेजी अधिकारी की हत्या कर दी।

1857 की क्रांति के कारण 

  1. 1857 की क्रांति के राजनीतिक कारणों में डलहौजी की व्यपगत नीति और वेलेजली की सहायक संधि की भूमिका महत्वपूर्ण थी।
  2. डलहौजी ने अपनी व्यपगत नीति के द्वारा जैतपुर, संभल, झांसी, नागपुर आदि राज्यों को ब्रिटिश साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया था। अवध के नवाब को गद्दी से उतार कर अवध की कंपनी राज्य में विलय कर लिया, भूतपूर्व पेशवा नाना साहब की पेंशन बंद कर दी, इन सभी कारणों ने व्यापक असंतोष को जन्म दिया था। मुगल सम्राट का अपमान भी कंपनी के प्रति आक्रोश का कारण बना।
  3. 1857 की क्रांति के प्रमुख कारणों में भारत में अंग्रेजी साम्राज्य का सबसे बड़ा अभिशाप था। देश का आर्थिक शोषण, प्लासी के युद्ध के पश्चात निरंतर भारत का आर्थिक शोषण होता रहा।
  4. 1857 ईस्वी की क्रांति के कारणों में ऐसे अनेक बिंदु विद्वान थे जो विद्रोह की पृष्ठभूमि तैयार कर रहे थे जैसे पदोन्नति से वंचित, वेतन की न्यून मात्रा,
  5. भारत की सीमा से बाहर युद्ध के लिए भेजा जाना, समुद्र पार का भत्ता ना देना आदि ऐसे अनेक कारण थे, जिनसे भारतीय सैनिक असंतुस्ट हो गए और 1857 की क्रांति के लिए विवश हो गए।