1857 ki kranti in hindi Sunday 22nd of December 2024
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1857 ki kranti in hindi
1857 ki kranti in hindi
केंद्र | क्रन्तिकारी | विद्रोह तिथि | उन्मूलन तिथि | उन्मूलन अधिकारी |
दिल्ली | बहादुरशाह जफर, बख्त खां | 11 मई 1857 | 20 सितंबर 1857 | निकलसन, हडसन |
कानपुर | नाना साहब, तात्या टोपे | 5 जून 1857 | दिसंबर 1857 | कैंपबेल |
लखनऊ | बेगम हजरत महल | 4 जून 1857 | 31 मार्च 1858 | कैंपबेल |
झांसी | रानी लक्ष्मीबाई | 4 जून 1857 | 17 जून 1858 | ह्यूरोज |
इलाहाबाद | लियाकत अली | जून 1857 | 1858 | कर्नल नील |
जगदीशपुर (बिहार ) | कुँवर सिंह | 12 जून 1857 | दिसंबर 1858 | विलियम टेलर , विंसेट आयर |
बरेली | खान बहादुर खां | जून 1857 | 1858 | बिसेन्ट आयर |
फैजाबाद | मौलवी अहमद उल्ला | जून 1857 | 1858 | जनरल रेनार्ड |
फतेहपुर | अजीमुल्ला | 1857 | 1858 | जनरल रेनर्ड |
इतिहासकार सुंदरलाल ने लिखा है कि इस राष्ट्रीय प्रयत्न की तह में उतनी ही गहरी योजना और उतनी ही व्यापक और गुप्त संगठन था, इस विशाल योजना का सूत्रपात कानपुर के समीप बिठूर या लंदन में हुआ था।
यह भी कहा जाता है कि नाना साहब (धुंधूपंत) के निकटस्थ अजीमुल्ला खान सतारा के अपदस्थ राज्य के निकटवर्ती रणोजी बापू ने लंदन में क्रांति की योजना बनाई थी।
अजीमुल्ला ने बिठूर (कानपुर) में नाना साहब के साथ मिलकर क्रांति की योजना को अंतिम रूप देते हुए 31 मई, 1857 की क्रांति का दिन निश्चित किया था।1857 ki kranti in hindi
1857 की क्रांति की सबसे महत्वपूर्ण और पहली घटना बैरकपुर की छावनी में घटित हुई जहां 29 मार्च 1857 को मंगल पांडे नामक सिपाही ने गाय और सूअर की चर्बी से तैयार कारतूस के प्रयोग से इंकार कर दिया और अपने उच्च अंग्रेजी अधिकारी की हत्या कर दी।
1857 की क्रांति के राजनीतिक कारणों में डलहौजी की व्यपगत नीति और वेलेजली की सहायक संधि की भूमिका महत्वपूर्ण थी।
डलहौजी ने अपनी व्यपगत नीति के द्वारा जैतपुर, संभल, झांसी, नागपुर आदि राज्यों को ब्रिटिश साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया था। अवध के नवाब को गद्दी से उतार कर अवध की कंपनी राज्य में विलय कर लिया, भूतपूर्व पेशवा नाना साहब की पेंशन बंद कर दी, इन सभी कारणों ने व्यापक असंतोष को जन्म दिया था। मुगल सम्राट का अपमान भी कंपनी के प्रति आक्रोश का कारण बना।
1857 की क्रांति के प्रमुख कारणों में भारत में अंग्रेजी साम्राज्य का सबसे बड़ा अभिशाप था। देश का आर्थिक शोषण, प्लासी के युद्ध के पश्चात निरंतर भारत का आर्थिक शोषण होता रहा।
1857 ईस्वी की क्रांति के कारणों में ऐसे अनेक बिंदु विद्वान थे जो विद्रोह की पृष्ठभूमि तैयार कर रहे थे जैसे पदोन्नति से वंचित, वेतन की न्यून मात्रा,
भारत की सीमा से बाहर युद्ध के लिए भेजा जाना, समुद्र पार का भत्ता ना देना आदि ऐसे अनेक कारण थे, जिनसे भारतीय सैनिक असंतुस्ट हो गए और 1857 की क्रांति के लिए विवश हो गए।1857 ki kranti in hindi