शाहजहां का इतिहास Thursday 21st of November 2024
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जहांगीर के शासनकाल के बाद सिंहासन पर शाहजहां (खुर्रम) बैठा। शाहजहां जोधपुर के शासक मोटा राजा उदय सिंह की पुत्री जगत गोसाई के गर्भ से 5 जनवरी 1592 ईसवी को लाहौर में पैदा हुआ था। Shahjahan History Hindi Me.
1628 ईस्वी में बड़ी धूमधाम के साथ आगरा के राज सिंहासन पर शाहजहां का राज्यारोहण हुआ।
शाहजहां का विवाह नूरजहां की भतीजी आशफ खां की पुत्री "अर्जुमंद बानो बेगम" से 1612 ईसवी में हुआ था। विवाह के पश्चात शाहजहां ने अपनी पत्नी अर्जुमंद बानो बेगम को मुमताजमहल की उपाधि से अलंकृत किया। 7 जून 1631 ईस्वी में प्रसव पीड़ा के कारण उसकी मृत्यु हो गई।
शाहजहां ने आसफ खान को वजीर पद एवं महावत खां को खानखाना की उपाधि प्रदान की। Shahjahan History
शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में ताजमहल का निर्माण आगरा में उसकी कब्र के ऊपर करवाया। ताजमहल का निर्माण करने वाला मुख्य स्थापत्य कलाकार उस्ताद अहमद लाहौरी था। Shahjahan History
मयूर सिंहासन का निर्माण शाहजहां ने करवाया था। इसका मुख्य कलाकार "बे बादल खां" था।
शाहजहां का के शासनकाल को स्थापत्य कला का स्वर्ण युग कहा जाता है।
शाहजहां द्वारा बनवाए गए प्रमुख इमारतों में दिल्ली का लाल किला, दीवाने आम, दीवाने खास, दिल्ली जामा मस्जिद, आगरा मोती मस्जिद, ताज महल आदि प्रमुख है। आगरा के जामा मस्जिद का निर्माण शाहजहां की पुत्री जहां आरा ने करवाई थी। Shahjahan History
शाहजहां ने संगीतज्ञ लाल खां को "गुड समंदर" की उपाधि दी थी।
शाहजहां के दरबार के प्रमुख चित्रकार मोहम्मद फकीर एवं मीर हासिम थे।
शाहजहां के पुत्रों में दारा शिकोह सर्वाधिक विद्वान था। इसने भगवत गीता, योग वशिष्ठ, उपनिषद एवं रामायण का अनुवाद फ़ारसी में करवाया था।
शाहजहां 6 सितंबर 1657 ईस्वी में गंभीर रूप से रोग ग्रस्त हो गया, ऐसी स्थिति में उसके चार पुत्रों- दारा शिकोह, सुजा, औरंगजेब और मुराद के मध्य उत्तराधिकारी का युद्ध प्रारंभ हो गया।
शाहजहां के शासनकाल में सबसे पहला विद्रोह 1628 ईस्वी में खाने जहां लोधी का था।
15 अप्रैल 1658 ईस्वी में दारा एवं औरंगजेब के बीच "धरमट का युद्ध" हुआ इस युद्ध में दारा की पराजय हुई।
29 मई 1658 इसवी को दारा औरंगजेब के बीच "सामूगढ़ का युद्ध" हुआ। इस युद्ध में भी दारा की हार हुई।
उत्तराधिकार का अंतिम युद्ध देवराई की घाटी में मार्च 1659 ईस्वी को हुआ। इस युद्ध में दारा के पराजित होने पर उसे इस्लाम धर्म की अवहेलना करने के अपराध में 30 अगस्त 1659 इसवी को हत्या कर दी गई।
शामूगढ़ में विजय प्राप्त करने के पश्चात औरंगजेब ने मुराद की हत्या कर दी तथा औरंगजेब ने स्वयं को बादशाह घोषित कर दिया।
8 जून 1658 ईस्वी को औरंगजेब ने शाहजहां को बंदी बना लिया। आगरा के किले में अपने कैदी जीवन के आठवें वर्ष 22 जनवरी 1666 ईस्वी को 74 वर्ष की अवस्था में शाहजहां की मृत्यु हो गई।
शाहजहां के अंतिम 8 वर्ष 1658 ईस्वी से लेकर 1666 ईस्वी तक आगरा के किले के शाहबुर्ज में एक बंदी के रूप में व्यतीत हुआ।
1666 इसवी में शाहजहां की मृत्यु हो गई और उसे ताजमहल में उसकी पत्नी की कब्र के निकट सामान्य अनुचरों द्वारा दफनाया गया।