Chakravartin Ashoka Samrat Thursday 21st of November 2024
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सम्राट अशोक (Chakravartin Ashoka Samrat) मौर्य सम्राट बिंदुसार का पुत्र था। इनके माता का नाम सुभद्रांगी (रानी धर्मा) था।
जैन अनुश्रुति के अनुसार अशोक ने बिंदुसार की इच्छा के विरूद्ध मगध के शासन पर अधिकार कर लिया था। सिंहली अनुश्रुति के अनुसार अशोक ने अपने 99 भाइयों की हत्या करके मगध का राज सिंहासन प्राप्त किया था। महाबोधिवंश तथा तारा नाथ के वर्णन से ज्ञात होता है कि सत्ता प्राप्ति के लिए हुए गृह युद्ध में अशोक ने अपने भाइयों का वध करके राज सिंहासन प्राप्त किया था। चूंकि गृहयुद्ध 4 वर्षों तक चलता रहा इसलिए अशोक का वास्तविक राज्याभिषेक 269 ईसा पूर्व में हुआ, जबकि उसने 273 ईसा पूर्व में ही सत्ता पर कब्जा कर लिया था। (Chakravartin Ashoka Samrat)
राज्याभिषेक से पहले सम्राट अशोक उज्जैन का राज्यपाल था।
अपने राज्याभिषेक के आठवे वर्ष अर्थात 261 ईसा पूर्व में अशोक ने कलिंग पर आक्रमण किया और विजय प्राप्त किया।
कलिंग युद्ध में हुए व्यापक नर संहार ने अशोक को विचलित कर दिया जिसके परिणाम स्वरूप उसने शस्त्र त्याग की घोषणा कर दी। तत्पश्चात उसने बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया, जबकि इससे पूर्व वह ब्राह्मण मतानुयायी था।
अशोक प्रथम शासक था जिसने अभिलेखों के माध्यम से प्रजा को संबोधित किया था, इसकी प्रेरणा उसने ईरानी शासक दारा प्रथम से लि थी।
अशोक के अभिलेखों में शाहबाजगढ़ी एवं मानसेहरा (पाकिस्तान) के अभिलेख खरोष्ठी लिपि में हैं।
अशोक के तक्षशिला एवं लघमान (अफगानिस्तान) अभिलेख आरमेइक लिपि में उत्कीर्ण हैं। Chakravartin Ashoka Samrat in Hindi
अशोक का शर-ए-कुना (अफ़गानिस्तान) अभिलेख आरमेइक एवं ग्रीक में उत्कीर्ण है।
अशोक के समस्त शिलालेख, लघु शिलालेख, स्तंभ लेख एवं लघु स्तंभ लेख ब्राह्मी लिपि में उत्कीर्ण है।
About the Chakravartin Ashoka Samrat
पुराणों में अशोक को अशोकवर्धन कहा गया है।
उपगुप्त नामक बौद्ध भिक्षु ने अशोक को बौद्ध धर्म की दीक्षा दी थी।
अशोक ने आजीवकों को रहने हेतु बराबर की पहाड़ियों में चार गुफाओं का निर्माण करवाया, जिनका नाम कर्ज, चोपार, सुदामा तथा विश्व झोपड़ी था।
अशोक के सातवें स्तंभ लेख में आजीवकों का उल्लेख किया गया है तथा महामात्रों को आजीवकों के हितों का ध्यान रखने के लिए कहा गया है।
आजीवक संप्रदाय की स्थापना मक्खलि गोसाल ने की थी।
अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अपने पुत्र महेंद्र एवं पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका भेजा था। बौद्ध परंपरा और उनके लिपियों के अनुसार अशोक ने 84000 स्तूपों का निर्माण किया था। Chakravartin Ashoka Samrat
भारत में शिलालेख का प्रचलन सर्वप्रथम अशोक ने किया था।
अशोक के अभिलेखों में ब्रह्मी, खरोष्ठी, आरमेइक लिपि का प्रयोग हुआ है।
खरोष्ठी लिपि दाएं से बाएं की ओर लिखी जाती है। History of samrat ashoka
अशोक के अभिलेखों को तीन भागों में बांटा जा सकता है।
१-शिलालेख
२-स्तंभ लेख
३-गुहालेख
अशोक के शिलालेख की खोज 1750 ईस्वी में पाद्रेटी फेनथेलर ने की थी। इनकी संख्या 14 है।
अशोक के अभिलेख पढ़ने में सबसे पहली सफलता 1837 ईस्वी में जेम्स प्रेसप को हुई थी। Chakravartin Ashoka Samrat
पहला शिलालेख- इसमें पशु बलि की निंदा की गई है।
दूसरा शिलालेख- इस में अशोक ने मनुष्य एवं पशु दोनों की चिकित्सा व्यवस्था का उल्लेख किया है।
तीसरा शिलालेख- इसमें राजकीय अधिकारियों को यह आदेश दिया गया है कि वे हर पांचवी वर्ष के उपरांत दौरे पर जाएं। इस शिलालेख में कुछ धार्मिक नियमों का भी उल्लेख किया गया है।
चौथा शिलालेख- इस अभिलेख में भेरीघोष की जगह धम्म घोष की घोषणा की गई है।
पांचवा शिलालेख- इस शिलालेख में धर्म महामात्रों की नियुक्ति के विषय में जानकारी मिलती है।
छठा शिलालेख- इसमें आत्म नियंत्रण की शिक्षा दी गई है।
सातवां एवं आठवां शिलालेख- इस में अशोक की तीर्थ यात्राओं का उल्लेख किया गया है।
नववां शिलालेख- इसमें सच्ची भेंट तथा सच्चे शिष्टाचार का उल्लेख किया गया है।
दसवां शिलालेख- इस में अशोक ने आदेश दिया है कि राजा तथा उच्च अधिकारी हमेशा प्रजा के हित में सोचे।
11वां शिलालेख- इसमें धमम की व्याख्या की गई है।
बारहवां शिलालेख- इस में स्त्री महा मात्रों की नियुक्ति एवं सभी प्रकार के विचारों के सम्मान की बात कही गई है।
13वां शिलालेख- इस में कलिंग युद्ध का वर्णन एवं अशोक के हृदय परिवर्तन की बात कही गई है। इसी में पड़ोसी राजाओं का वर्णन है।
14 वां शिलालेख- अशोक ने जनता को धार्मिक जीवन बिताने के लिए प्रेरित किया है।
अशोक के मृत्यु के पश्चात उसके किसी भी उत्तराधिकारी के उसके सामान योग्य न होने के कारण शीघ्र ही मौर्य साम्राज्य का पतन हो गया।
अधिकांश विद्वान कुणाल को अशोक का उत्तराधिकारी मानते हैं। कुणाल ने 8 वर्षों तक शासन किया था।
कुणाल के पश्चात दशरथ शासक बना, दशरथ ने भी 8 वर्षों तक शासन किया। दशरथ के पश्चात सम्प्रति, शलीशुक, देववर्मन, व शतधनुष शासक हुए। उनके पश्चात बृहद्रथ शासक बना, जो मौर्य साम्राज्य का अंतिम शासक था। बृहद्रथ के सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने उसकी दुर्बलता का लाभ उठाकर 184 ईसा पूर्व में उसकी हत्या कर दी तथा राज्य सिंहासन पर अधिकार कर लिया।