Gupt Samrajya

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गुप्त साम्राज्य (319 ईसवी - 550 ईसवी) Gupt Samrajya

गुप्त साम्राज्य के शासक (Empire of Gupt Samrajya)

  • श्रीगुप्त (275 ईस्वी - 300 ईस्वी)
  • घटोट्कच गुप्त (300 ईस्वी - 319 ईस्वी)
  • चन्द्रगुप्त प्रथम  (319 ईस्वी - 324 ईस्वी)
  • काच (324 ईस्वी )
  • समुद्रगुप्त (325 ईस्वी - 375 ईस्वी)
  • रामगुप्त (375 ईस्वी - 380 ईस्वी)
  • चन्द्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) 380 ईस्वी - 412 ईस्वी
  • कुमारगु्प्त प्रथम  (413 ईस्वी - 455 ईस्वी)
  • स्कन्दगुप्त (455 ईस्वी - 467 ईस्वी)
  • पुरुगुप्त (467 ईस्वी - 473 ईस्वी)
  • कुमारगुप्त द्वितीय (473 ईस्वी - 476 ईस्वी)
  • बुध गुप्त (476 ईस्वी - 495 ईस्वी)
  • वैन्य गुप्त (495 ईस्वी - 507 ईस्वी)
  • भानु गुप्त 
  • नरसिंहगुप्त बालादित्य 
  • कुमारगुप्त तृतीय 
  • विष्णु गुप्त - 550  ईस्वी)

Gupt Samrajya

गुप्त वंश का संस्थापक श्री गुप्त था। 

गुप्त साम्राज्य का उदय लगभग तीसरी शताब्दी के अंत में प्रयाग के निकट कौशांबी में हुआ था। 

गुप्त वंश का प्रथम महान सम्राट चंद्रगुप्त प्रथम था।  Gupt Samrajya

चंद्रगुप्त प्रथम 320 ईस्वी  में गद्दी पर बैठा। इसने लिच्छवी राजकुमारी कुमार देवी से विवाह कर किया। चंद्रगुप्त प्रथम ने "महाराजाधिराज" की उपाधि धारण की। 

श्री गुप्त का उत्तराधिकारी घटोतकच था। 

गुप्त संवत (319 - 320 ) की शुरुआत चंद्रगुप्त प्रथम ने की थी। 

चंद्रगुप्त प्रथम का उत्तराधिकारी समुद्रगुप्त हुआ, जो 335 ईसवी में राजगद्दी पर बैठा। इसने आर्यावर्त के नौ शासकों और दक्षिणावर्त की 12 शासकों को पराजित किया था इन्हीं शासकों पर विजय प्राप्त करने के कारण इसे भारत का नेपोलियन कहा जाता है। 

समुद्रगुप्त का दरबारी कवि हरिषेण था, जिसने इलाहाबाद प्रशस्ति लेख की रचना की थी। Gupt Samrajya

समुद्रगुप्त विष्णु का उपासक था। 

समुद्रगुप्त ने अश्वमेधकर्ता की उपाधि धारण की थी। समुद्रगुप्त अत्यंत संगीत प्रेमी था। ऐसा अनुमान उसके सिक्कों पर उसे वीणा वादन करते हुए दिखाया जाने से लगाया गया है। 

समुद्रगुप्त ने विक्रमंक की उपाधि धारण की थी। समुद्रगुप्त को कविराज भी कहा जाता था। 

समुद्रगुप्त का उत्तराधिकारी चंद्रगुप्त द्वितीय हुआ जो 380 ईसवी में राजगद्दी पर बैठा। चंद्रगुप्त II के शासनकाल में ही चीनी यात्री फाह्यान भारत आया था। 

शकों पर विजय के उपलक्ष में चंद्रगुप्त द्वितीय ने चांदी के सिक्के चलाए थे। 

नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना कुमार गुप्त ने की थी। Gupt Samrajya

स्कंध गुप्त ने गिरनार पर्वत पर स्थित सुदर्शन झील का पुनरुद्धार किया। 

अंतिम गुप्त शासक विष्णुगुप्त था। 

Gupt Samrajya related important fact in Hindi

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गुप्त काल में उज्जैन सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र था।  Gupta Period

पहली बार किसी के सती होने का प्रमाण 510 ईसवी के भानु गुप्त के एरण अभिलेख से मिलता है। जिसमें किसी भोजराज की मृत्यु पर उसकी पत्नी के सती होने का उल्लेख है। 

गुप्त काल में वेश्यावृत्ति करने वाली महिलाओं को गणिका कहा जाता था। वृद्ध वेश्याओं को कुट्टनी कहा जाता था।  Gupta Period

अजंता में निर्मित कुल 29  गुफाओं में वर्तमान में केवल 6 ही शेष हैं, जिनमें गुफा संख्या 16 व 17 ही गुप्तकालीन है। इसमें गुफा संख्या 16 में उत्कीर्ण मरणासन्न राजकुमारी का चित्र है। Gupt Samrajya

गुफा संख्या 17 के चित्र को चित्र शाला कहा गया है। इस चित्रशाला में बुद्ध के जीवन, जन्म, महाभिनिष्क्रमण, महापरिनिर्वाण की घटनाओं से संबंधित चित्र अलंकृत हैं। 

अजंता की गुफाएं बौद्ध धर्म की महायान शाखा से संबंधित है। 

चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में संस्कृत भाषा के  सबसे प्रसिद्ध कवि कालिदास है। 

चंद्रगुप्त द्वितीय के दरबार में रहने वाला आयुर्वेदाचार्य धन्वंतरि थे। 

गुप्त काल में विष्णु शर्मा द्वारा लिखित पंचतंत्र संसार का सर्वाधिक प्रचलित ग्रंथ माना जाता है। बाइबल के बाद इसका दूसरा स्थान है। Gupt Samrajya

पुराणों की वर्तमान रूप में रचना गुप्त  काल में हुई। इसमें ऐतिहासिक परंपराओं का उल्लेख है। 

संस्कृत गुप्त राजाओं की शासकीय भाषा थी। 

मंदिर बनाने की कला का जन्म गुप्त काल में ही हुआ। 

कालिदास की कृति अभिज्ञान शाकुंतलम् प्रथम भारतीय रचना है जिसका अनुवाद यूरोपीय भाषाओं में हुआ।  Gupt Samrajya

सांस्कृतिक उपलब्धियों के कारण गुप्त काल को भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग कहा जाता है।