प्रथम विश्व युद्ध Tuesday 10th of December 2024
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1914 ईस्वी में प्रारंभ हुआ प्रथम विश्व युद्ध (First world war) न केवल यूरोप की बल्कि पूरे विश्व इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है। 1914 ईस्वी से 1918 ईस्वी तक वह प्रथम विश्वयुद्ध (First world war) इससे पूर्व के समस्त युद्धों से अधिक भयंकर तथा अत्यंत विनाशकारी था। इस युद्ध में 36 देशों ने भाग लिया था जिनके 13000000 सैनिक हताहत हुए थे। इस युद्ध में अपार धन खर्च किया गया। दोनों पक्षों ने एक खरब छीयासी अरब डालर व्यय किये। इसके अतिरिक्त हजारों व्यक्ति हत्याकांड, भूख और बीमारी से मारें गये व एक खरब डालर की संपत्ति नष्ट हो गई। First world war in hindi
प्रथम विश्व युद्ध (First world war) से विश्व की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक स्थिति पर गंभीर प्रभाव हुए। इस युद्ध के परिणाम स्वरूप प्रजातंत्र राष्ट्रीयता की भावना का विकास हुआ। जिससे विश्व के विभिन्न देशों में स्वतंत्रता प्राप्ति के आंदोलन में तीव्रता आयी तथा आस्ट्रिया, पोलैण्ड, लाटविया, चैकोस्लोवाकिया आदि देशों में प्रजातंत्रत्मक शासन पद्धति की स्थापना हुई। राष्ट्रीयता के आधार पर अनेक नवीन राज्यों का निर्माण हुआ। इटली एवं जर्मनी की सरकारें जनता को संतुष्ट करने में असफल रही। अतः वहां नाजीवाद तथा फासीवाद का उदय हुआ। इंग्लैंड व फ़्रांस की शक्ति इस युद्ध के पश्चात अधिक बढ़ गई तथा उनके राष्ट्रीय सम्मान में भी वृद्धि हुई। अमेरिका के राष्ट्रपति विल्सन ने शांति स्थापना के लिए 14 सिद्धांतों का प्रतिपादन किया तथा शांति की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्था राष्ट्र संघ की स्थापना हुई। इसी युद्ध के समय में रूस में साम्यवादी सरकार की स्थापना हुई तथा अमेरिका का विश्व के राजनीतिक क्षितिज पर प्रभाव बढ़ा। First world war in hindi
युद्ध के पश्चात मित्र राष्ट्रों में जर्मनी के साथ वर्साय की संधि (28 जून 1919 ईस्वी) में ऑस्ट्रेिया के साथ सेंट जर्मेन की संधि (10 सितंबर 1919 ईस्वी ), बल्गारिया के साथ 27 नवंबर 1919 ईस्वी को न्यूली की संधि, हंगरी से 4 जून 1920 ईसवी को त्रिआनों की संधि तथा टर्की से 10 अगस्त 1920 ईस्वी को सेव्रीस की संघि की।
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इन समस्त संधियों जिन में सर्वाधिक महत्वपूर्ण जर्मनी के साथ की गई वर्साय की संधि थी, के द्वारा मित्र राष्ट्रों ने पराजित राष्ट्रों के साथ प्रतिशोध आत्मक व्यवहार करते हुए अत्यंत कठोर शर्तें रखीं, जिन को स्वीकार करना किसी भी राष्ट्र के लिए असंभव था। किंतु पराजित राष्ट्रों को इन्हें स्वीकार करने के लिए विवश किया गया। जर्मनी के विरुद्ध विशेष रूप से वर्साय की संधि में अत्यंत कठोर व्यवहार किया गया था ताकि जर्मनी को स्थाई रूप से निर्बल बनाया जा सके। मित्र राष्ट्रों के कठोर व्यवहार का परिणाम यह हुआ कि पराजित राष्ट्रों में प्रतिशोध की भावना जागृत होने लगी तथा वे प्रतिशोध लेने के अवसर की प्रतीक्षा करने लगे। कुछ ही वर्षों के उपरांत पुनः एक अत्यंत भयंकर युद्ध की अग्नि ज्वाला जाग उठी जिसे द्वितीय विश्व युद्ध (Second World War) कहा गया।
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द्वितीय विश्व युद्ध (Second World War) 1 सितंबर 1939 ईस्वी को प्रारंभ हुआ और 14 अगस्त 1945 को समाप्त हुआ था। लगभग 6 वर्षों तक लड़ा जाने वाला द्वितीय विश्वयुद्ध (Second World War) मानव इतिहास का सबसे भयावह एवं विनाशकारी युद्ध था। जिसने संपूर्ण विश्व को प्रभावित किया था। इसके प्रभाव इतने व्यापक थे कि विश्व इतिहास में एक युग का ही अंत हो गया और एक नए युग का प्रारंभ हुआ। परंतु इस युग में भय, चिंता, अनिश्चितता एवं तनाव की स्थिति पहले जैसे ही बनी रहे। द्वितीय विश्व युद्ध ने जिस नूतन युग का जन्म दिया वह यूरोपीय प्रभुत्व की समाप्ति का युग था। द्वितीय महायुद्ध ने यूरोपीय शक्तियों को इतना झकझोर दिया कि युद्ध से पूर्व तक विश्व को अनुशासित करने का दावा करने वाला यूरोप समस्या प्रधान यूरोप के रूप में सामने आया। यूरोप की प्रभुसत्ता विश्व के रंगमंच पर छिड़ होते ही दो नए महा शक्तियों का अभ्युदय हुआ संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस। द्व्तीय विश्व युद्ध (Second World War) के परिणाम स्वरूप यूरोपीय देशों के औपनिवेशिक साम्राज्यों में स्वतंत्रता की भावना जागृत हुई। परिस्थितियों से बाध्य होकर महा युद्ध के पश्चात ब्रिटिश साम्राज्य ने अपनी नीति में परिवर्तन कर भारत, वर्मा, पाकिस्तान, मलाया, मिश्र आदि देशों को स्वतंत्रता प्रदान की। द्वितीय विश्व युद्ध से जनित अशांति को दूर करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानव ने अपने हृदय को पुनः टटोला। एक बार पुनः लोकतांत्रिक देशों ने शांति की खोज के प्रयास किए, जिसके परिणाम स्वरूप 24 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गई।
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