chandragupta vikramaditya

Chandragupta Vikramaditya, chandragupta vikramaditya ke navratan hindi me, परीक्षा की दृष्टि से चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के बारे में अति महत्वपूर्ण बातें, chandragupta II, vikramaditya history in hindi, king vikramaditya empire chandragupta 2 vikramaditya.

चंद्रगुप्त द्वितीय राम गुप्त का अनुज भ्राता था। 

चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में गुप्त साम्राज्य अपने चरमोत्कर्ष को प्राप्त हो गया था। 

समुद्रगुप्त के पश्चात राम गुप्त नामक एक दुर्बल शासक के अस्तित्व की जानकारी गुप्त वंशावली में निहित है, तत्पश्चात चंद्रगुप्त द्वितीय का नाम है। 

चंद्रगुप्त द्वितीय ने वैवाहिक संबंधों और विजय दोनों प्रकार से गुप्त साम्राज्य का विस्तार किया था। 

चंद्रगुप्त द्वितीय के अभिलेखों व मुद्राओं से  उनके अनेक नामों के विषय में पता चलता है। उसे देव श्री, विक्रम, विक्रमादित्य, सिंह विक्रम, सिंह चंद्र, परम् भागवत, अजित विक्रम, विक्रमांक आदि बिरुदों से अलंकृत कहा गया है। 

चंद्रगुप्त द्वितीय के नवरत्न-

चंद्रगुप्त द्वितीय के दरबार में विद्वानों एवं कलाकारों को आश्रय  प्राप्त था।  इन  के दरबार में नवरत्न थे जो इस प्रकार है- कालिदास, धनवंतरि,  क्षपड़क,  अमर सिंह, शंकु, बैताल भट्ट,  घटकर्पर,  वराह मिहिर और वररुचि उल्लेखनीय थे। 

चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में ही चीनी यात्री फाह्यान भारत यात्रा पर आया था। 

चंद्रगुप्त द्वितीय का काल साहित्य और कला का स्वर्ण युग कहा जाता है। 

चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में उनकी प्रथम राजधानी पाटलिपुत्र थी और द्वितीय राजधानी उज्जैनी थी। यह दोनों ही नगर गुप्त कालीन शिक्षा के प्रसिद्ध केंद्र थे। 

चंद्रगुप्त द्वितीय का साम्राज्य पश्चिम में गुजरात से लेकर पूर्व में बंगाल तक तथा उत्तर में हिमालय की तलहटी से लेकर दक्षिण में नर्मदा नदी तक विस्तृत था। 

चंद्रगुप्त द्वितीय ने मेहरौली लौह स्तंभ का निर्माण करवाया था। 

चंद्रगुप्त द्वितीय के पश्चात उसका पुत्र  कुमार गुप्त गद्दी पर बैठा 

गुप्तों की राजकीय भाषा संस्कृत थी।