Mohenjo daro history
मोहनजोदड़ो की खोज सन 1922 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के आफिसर आर. डी. बनर्जी ने किया था।
- मोहनजोदड़ो सिंधी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ मुर्दों के टीले से होता है।यह एक ऐसा नगर है जो विशालकाय टीलों से पटा हुआ है।
- यह नगर सिंधु घाटी के प्रमुख शहर हड़प्पा के अंतर्गत आता है।
- यह नगर पाकिस्तान में सिंध प्रांत के लरकाना जिले में सिंधु नदी के दाहिने किनारे पर लगभग 5 किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।
- मोहनजोदड़ो को हड़प्पा की सभ्यता का एक नगर माना जाता है और इस समूचे क्षेत्र को सिंधु घाटी की सभ्यता भी कहा जाता है।
- मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक सील पर तीन मुख वाले देवता (पशुपतिनाथ) की मूर्ति प्राप्त हुई है। उनके चारों और हाथी, गैंडा,चीता एवं भैंसा विराजमान है।
- ऐसा मानना है कि 2600 ईसापूर्व इस नगर की स्थापना हुई थी। कुछ इतिहासकार लगभग 2700 ईसापूर्व से 1900 ईसा पूर्व तक मानते हैं। हड़प्पा के इस मोहनजोदड़ो को सिंध का बाग भी कहा जाता है। इतिहासकारों के अनुसार इसके निर्माता दविड़ थे।
- मोहनजोदड़ो से सूती कपड़ों के उपयोग के प्रमाण मिलते हैं, इससे यह स्पष्ट होता है कि यह कपास की खेती के बारे में जानते थे।
- इस नगर से प्राप्त विशाल स्नानागार में जल के रिसाव रोकने के लिए ईंटो के ऊपर चारकोल की परत चढ़ाई गई है। जिससे पता चलता है कि वह चारकोल के संबंध में भी जानते थे।
- मोहनजोदड़ो से प्राप्त अन्नागार संभवता सिंधु सभ्यता की सबसे बड़ी इमारत है।
- मोहनजोदड़ो से प्राप्त के बृहत स्नानागार एक प्रमुख स्मारक है। जिस के मध्य स्थित स्नान कुंड 11.88 मीटर लंबा, 7.01 मीटर चौड़ा एवं 2.43 मीटर गहरा है।
Mohenjo daro history in hindi