Amendment of indian constitution

Amendment of indian constitution - अब तक भारतीय संविधान संशोधन की कुल संख्या और उससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें। भारतीय संविधान संशोधन,article 368,notes on amendment of indian constitution,amendment of indian constitution pdf,last amendment of indian constitution

भारतीय संविधान के महत्वपूर्ण संशोधन

पहला संविधान संशोधन (1950)- इस संशोधन द्वारा अनुच्छेद 15,19,31,85,87,174,176,372 तथा 376 में संशोधन किया गया और 9वीं अनुसूची को शामिल किया गया। राज्य द्वारा पारित भूमि सुधार कानून को नौवीं अनुसूची में रखकर न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से बाहर किया गया। मौलिक अधिकारों में समानता,स्वतंत्रता तथा संपत्ति को सामाजिक हित में सीमित किया गया तथा राज्य को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के नागरिकों की उन्नति के लिए विशेष उपबंध बनाने का अधिकार प्रदान किया गया।

दूसरा संविधान संशोधन 1952 ई. - इसके अंतर्गत 1951 ई. की जनगणना के आधार पर लोकसभा में प्रतिनिधित्व को पुनर्व्यवस्थित किया गया।
तीसरा संशोधन १९५४ ई. - इसके अंतर्गत सातवीं अनुसूची को समवर्ती सूची की 33वीं प्रविष्ट के स्थान पर खाद्यान्न, पशुओं के लिए चारा, कच्चा कपास, जूट आदि को रखा गया जिसके उत्पादन एवं आपूर्ति को लोकहित में समझने पर सरकार उस पर नियंत्रण लगा सकती हैं।
चौथा संविधान संशोधन 1955 ई. - इसके अंतर्गत व्यक्तिगत संपत्ति को लोक हित में राज्य द्वारा हस्तगत किए जाने की स्थिति में, न्यायालय इस की क्षतिपूर्ति के संबंध में परीक्षा नहीं कर सकती।
छठा संविधान संशोधन 1956 ई.- इस संशोधन द्वारा सातवीं अनुसूची के संघ सूची में परिवर्तन कर अंतर्राज्यीय बिक्री कर के अंतर्गत कुछ वस्तुओं पर केंद्र को कर लगाने का अधिकार दिया गया।

8 वां संविधान संशोधन 1959 ई- इसके अंतर्गत केंद्र एवं राज्यों के निम्न सदनों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजातियों, आंग्ल भारतीय समुदाय के आरक्षण संबंधी प्रावधानों को 10 वर्षों के लिए अर्थात 1970 ईस्वी तक बढ़ा दिया गया।
9 वा संविधान संशोधन 1980 ई- इसके द्वारा संविधान की प्रथम अनुसूची में परिवर्तन करके भारत और पाकिस्तान के बीच 1958 की संधि की शर्तों के अनुसार बेरुबारी, खुलना आदि क्षेत्र पाकिस्तान को दे दिया गया।
10 वां संविधान संशोधन 1961 ई- इसके अंतर्गत भूतपूर्व पुर्तगाली अन्तः क्षेत्रों दादर एवं नगर हवेली को भारत में शामिल कर उन्हें केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया।

12 वां संविधान संशोधन 1962 ई०- इसके अंतर्गत संविधान की प्रथम अनुसूची में संशोधन कर गोवा, दमन एवं दीव को भारत में केंद्र शासित प्रदेश के रूप में शामिल कर लिया गया।
 

 इसके अंतर्गत नागालैंड के संबंध में विशेष प्रावधान अपनाकर उसे एक राज्य का दर्जा दे दिया गया।
14 वां संशोधन 1963 ई० - इसके द्वारा केंद्र शासित प्रदेश के रूप में पुदुच्चेरी को भारत में शामिल किया गया। साथ ही, इसके द्वारा हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, गोवा, दमन और दीव तथा पुदुच्चेरी केंद्र शासित प्रदेशों में विधान पालिका एवं मंत्रिपरिषद की स्थापना की गई।

 

.

 इसके अंतर्गत उच्च न्यायालय न्यायाधीशों की सेवा मुक्त की आयु ६० से बढ़ा कर ६२ कर दी गयी तथा अवकाशप्राप्त न्यायाधीशों को उच्च न्यायालय में नियुक्ति से संबंधित प्रावधान बनाए गए।

सोलहवां संविधान संशोधन 1963 -इसके द्वारा देश की संप्रभुता एवं अखंडता के हित में मूल अधिकारों पर कुछ प्रतिबंध लगाने के प्रावधान रखे गए साथ ही तीसरी अनुसूची में भी परिवर्तन कर शपथ ग्रहण के अंतर्गत मैं भारत की स्वतंत्रता एवं अखंडता को बनाए रखूंगा जोड़ा गया।
17 वां संविधान संशोधन 1964- इसमें संपत्ति के अधिकारों में और भी संशोधन करते हुए कुछ अन्य भूमि सुधार प्रावधानों को नवी अनुसूची में रखा गया, जिनकी वैधता की परीक्षा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नहीं की जा सकती है।

18 वा संविधान संशोधन 1966- इसके अंतर्गत पंजाब का भाषाई आधार पर पुनर्गठन करते हुए पंजाबी भाषी क्षेत्र को पंजाबएवं हिंदी भाषी क्षेत्र को हरियाणा के रूप में गठित किया गया। पर्वतीय क्षेत्र हिमाचल प्रदेश को दे दिए गए तथा चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया।
19 वा संविधान संशोधन 1966- इसके अंतर्गत चुनाव आयोग के अधिकारों में परिवर्तन किया गया एवं उच्च न्यायालयों को चुनाव याचिकाएं सुनने का अधिकार दिया गया।
20 वां संविधान संशोधन 1966- इसके अंतर्गत अनियमितता के आधार पर नियुक्त कुछ जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति को वैधता प्रदान की गई।

21 वां संविधान संशोधन 1967- इसके द्वारा सिंधी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची के अंतर्गत 15वीं भाषा के रूप में शामिल किया गया।
22 वां संविधान संशोधन 1969- इसके द्वारा असम से अलग करके एक नया राज्य मेघालय बनाया गया।
23 वां संविधान संशोधन 1969- इसके अंतर्गत विधान पालिकाओं में अनुसूचित जातियों अनुसूचित जनजाति के आरक्षण आंग्ल भारतीय समुदाय के लोगों का मनोनयन और 10 वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया।
24 वां संविधान संशोधन 1971- इस संशोधन के अंतर्गत संसद की शक्ति को स्पष्ट किया गया कि वह संविधान के किसी भी भाग को, जिस में भाग 3 के अंतर्गत आने वाले मूल अधिकार भी हैं, संशोधित कर सकती है। साथ ही, यह भी निर्धारित किया गया कि संशोधन संबंधी विधेयक जब दोनों सदनों में पारित होकर राष्ट्रपति के समक्ष जाएगा तो इस पर राष्ट्रपति द्वारा सम्मति दिया जाना बाध्यकारी होगा।
26 वां संविधान संशोधन 1971- इसके अंतर्गत भूतपूर्व देशी राज्यों के शासकों की विशेष उपाधियों एवं उनके प्रिवी पर्स को समाप्त कर दिया गया।

 

इसके अंतर्गत मिजोरम एवं अरुणाचल प्रदेश को केंद्र शासित प्रदेशों के रुप में स्थापित किया गया।
29 वां संशोधन- इसके अंतर्गत केरल भू सुधार (संशोधन) अधिनियम, 1969 तथा केरल भू सुधार (संशोधन) अधिनियम, 1971 को संविधान की नौवीं अनुसूची में रख दिया गया, जिससे इसकी संवैधानिक वैधता को न्यायालय में चुनौती न दी जा सके।

31 वां संविधान संशोधन 1973- इसके द्वारा लोकसभा के सदस्यों की संख्या 525 से 545 कर दी गई।
32 वां संविधान संशोधन 1974- इसके द्वारा संसद एवं विधान पालिकाओं के सदस्यों द्वारा दबाव में या जबरदस्ती किए जाने पर इस्तीफा देना अवैध घोषित किया गया एवं अध्यक्ष को यह अधिकार दिया गया कि वह सिर्फ स्वेच्छा से दिए गए उचित त्याग पत्र को ही स्वीकार करें।
34 वां संविधान संशोधन 1974- इसके अंतर्गत विभिन्न राज्यों द्वारा पारित २० भू सुधार अधिनियम को नौवीं अनुसूची में प्रवेश देते हुए उन्हें न्यायालय द्वारा संवैधानिक वैधता के परीक्षण से मुक्त किया गया।
35 वां संविधान संशोधन 1974-इसके अंतर्गत सिक्किम का संरछित राज्य का दर्जा समाप्त कर उसे सम्बद्ध राज्य के रूप में भारत में प्रवेश दिया गया।
36 संविधान संशोधन 1975- इसके अंतर्गत सिक्किम भारत का 22वां राज्य बनाया गया।

37 वां संविधान संशोधन 1975- इसके तहत आपात स्थिति की घोषणा और राष्ट्रपति, राज्यपाल एवं केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासनिक प्रधानों द्वारा अध्यादेश जारी किए जाने को अविवादित बनाते हुए न्यायिक पुनर्विचार से उन्हें मुक्त रखा गया।
39 वां संविधान संशोधन 1975- इसके द्वारा राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं लोकसभा अध्यक्ष के निर्वाचन संबंधी विवादों को न्यायिक परीक्षण से मुक्त कर दिया गया।
41 वां संविधान संशोधन 1976- इसके द्वारा राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों की सेवा मुक्त की आयु सीमा 60 से बढ़ाकर 62 कर दी गई पर संघ लोक सेवा आयोग के सदस्यों की सेवानिवृत्ति की अधिकतम आयु 65 रहने दी गई 

 

 इसके द्वारा संविधान में व्यापक परिवर्तन लाए गए जिनमें से मुख्य निम्नलिखित हैं।
१- संविधान की प्रस्तावना में "समाजवादी धर्मनिरपेक्ष एवं एकता और अखंडता" आदि शब्द जोड़े गए। २- सभी नीति निर्देशक सिद्धांतों को मूल अधिकारों पर सर्वोच्चता सुनिश्चित की गई।
३- इसके अंतर्गत संविधान में 10 मौलिक कर्तव्यों को अनुच्छेद 51 (क) भाग 4 क के अंतर्गत जोड़ा गया।
४-इसके द्वारा संविधान को न्यायिक परीक्षण से मुक्त किया गया।
५-सभी विधानसभाओं एवं लोकसभा की सीटों की संख्या को इस शताब्दी के अंत तक के स्थिर कर दिया गया।
६-लोकसभा एवं विधानसभा की अवधि को 5 से 6 वर्ष कर दिया गया।
७-इसके द्वारा यह निर्धारित किया गया कि किसी केंद्रीय कानून की वैधता पर सर्वोच्च न्यायालय व राज्य के कानून की वैधता का उच्च न्यायालय ही परीक्षण करेगा। साथ ही यह भी निर्धारित किया गया कि किसी संवैधानिक वैधता के प्रश्न पर 5 से अधिक न्यायाधीशों की बेंच द्वारा दो तिहाई बहुमत से निर्णय दिया जाना चाहिए और यदि न्यायाधीशों की संख्या 5 हो तो निर्णय सर्वसम्मति से होना चाहिए।
८-इसके द्वारा वन संपदा, शिक्षा, जनसंख्या नियंत्रण आदि विषयों को राज्य सूची से समवर्ती सूची के अंतर्गत कर दिया गया।
९-इसके अंतर्गत निर्धारित किया गया कि राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद एवं उनके प्रमुख प्रधानमंत्री की सलाह के अनुसार कार्य करेगा।
१०-इसने संसद को राष्ट्र विरोधी गतिविधियों से निपटने के लिए कानून बनाने के अधिकार एवं सर्वोच्चता स्थापित की।

 इसके अंतर्गत राष्ट्रीय आपात स्थिति लागू करने के लिए "आंतरिक अशांति" के स्थान पर "सैन्य विद्रोह" का आधार रखा गया एवं आपात स्थिति संबंधी अन्य प्रावधानों में परिवर्तन लाया गया जिससे उनका दुरुपयोग न हो। इसके द्वारा संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों के भाग से हटाकर विधिक अधिकारों की श्रेणी में रख दिया गया। लोक सभा तथा राज्य विधानसभाओं की अवधि 6 वर्ष से घटाकर 5 वर्ष कर दी गई। उच्चतम न्यायालय को राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति के निर्वाचन संबंधी विवाद को हल करने की अधिकारिता प्रदान की गई।

 

53 वां संविधान संशोधन 1986- इसके अंतर्गत अनुच्छेद 371 में खंड "जी" जोड़कर मिजोरम को राज्य का दर्जा दिया गया।
54 वा संविधान संशोधन 1986- इस के द्वारा संविधान की दूसरी अनुसूची के भाग डी में संशोधन कर न्यायाधीशों के वेतन में वृद्धि का अधिकार संसद को दिया गया।
55 वां संविधान संशोधन 1986= इसके अंतर्गत अरुणाचल प्रदेश को राज्य बनाया गया।
56 वा संविधान संशोधन 1987- इसके अंतर्गत गोवा को एक राज्य का दर्जा दिया गया तथा दमन और दीव को केंद्र शासित प्रदेश के रूप में ही रहने दिया गया।
57 वा संविधान संशोधन 1987- इसके अंतर्गत अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण के संबंध में मेघालय, मिजोरम, नागालैंड एवं अरुणाचल प्रदेश की विधानसभा सीटों का परिसीमन इस शताब्दी के अंत तक के लिए किया गया।

 

 

58 वां संविधान संशोधन 1987 -इसके द्वारा राष्ट्रपति को संविधान का प्रमाणिक हिंदी संस्करण प्रकाशित करने के लिए अधिकृत किया गया।
60 वां संविधान संशोधन 1988- इसके अंतर्गत व्यवसाय कर की सीमा 250 से बढ़ाकर 2500 रूपये प्रति व्यक्ति वर्ष कर दी गई।
61 वां संविधान संशोधन 1989-इसके द्वारा मतदान के लिए आयु सीमा 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष लाने का प्रस्ताव था।
65 वा संविधान संशोधन 1990- इसके द्वारा अनुच्छेद 338 में संशोधन करके अनुसूचित जाति तथा जनजाति आयोग के गठन की व्यवस्था की गई है।
69 वां संविधान संशोधन 1991- दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र बनाया गया तथा दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के लिए विधानसभा और मंत्रिपरिषद का उपबंध किया गया।
70 वां संविधान संशोधन 1992- दिल्ली और पुडुचेरी संघ राज्य क्षेत्रों की विधानसभाओं के सदस्यों को राष्ट्रपति के लिए निर्वाचक मंडल में सम्मिलित किया गया।
71वां संविधान संशोधन 1992- आठवीं अनुसूची में कोंकड़ी,मणिपुरी और नेपाली भाषा को सम्मिलित किया गया

73वां संविधान संशोधन 1992-93 इसके अंतर्गत संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची जोड़ी गई। इसके पंचायती राज संबंधी प्रावधानों को सम्मिलित किया गया है।

 

83 वां संविधान संशोधन 2000- इस संशोधन द्वारा पंचायती राज्य संस्थाओं में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण का प्रावधान न करने की छूट प्रदान की गई है। अरुणाचल प्रदेश में कोई भी अनुसूचित जाति न होने के कारण उसे यह छूट प्रदान की गई है।
84 वां संविधान संशोधन 2001- इस संशोधन अधिनियम द्वारा लोकसभा तथा विधानसभा की सीटों की संख्या में वर्ष 2026 तक कोई परिवर्तन न करने का प्रावधान किया गया है।
85 वां संविधान संशोधन 2001- सरकारी सेवाओं में अनुसूचित जाति, जनजाति के अभ्यर्थियों के लिए पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था।
86 वा संविधान संशोधन2002- इस संशोधन अधिनियम द्वारा देश के 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए अनिवार्य एवं निःशुल्क शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता देने संबंधी प्रावधान किया गया है,इसे अनुच्छेद 21 क के अंतर्गत संविधान जोड़ा गया है। इस अधिनियम द्वारा संविधान के अनुच्छेद 45 तथा अनुच्छेद 51 क में संशोधन किए जाने का प्रावधान है।
87 वां संविधान संशोधन 2003- परिसीमन में जनसंख्या का आधार 1991 की जनगणना के स्थान पर 2001 कर दी गई है।

 

88 वां संशोधन 2003- सेवाओं पर कर का प्रावधान।
89 वां संविधान संशोधन 2003- अनुसूचित जनजाति के लिए पृथक राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की व्यवस्था।
90 वां संविधान संशोधन 2003- असम विधानसभा में अनुसूचित जनजातियों और गैर अनुसूचित जन जातियों का प्रतिनिधित्व बरकरार रखते हुए बोडो लैंड, टेरिटोरियल काउंसिल क्षेत्र, गैर जनजाति के लोगों के अधिकारों की सुरक्षा।
91वां संविधान संशोधन 2003- दलबदल व्यवस्था में संशोधन, केवल संपूर्ण दल के बिलय की मान्यता , केंद्र तथा राज्य में मंत्री परिषद के सदस्य संख्या क्रमशः लोक सभा तथा विधान सभा के सदस्य संख्या का 15% होगा ( जहां सदन की सदस्य संख्या 40- 40 है वहां अधिकतम 12 होगी)
92 संविधान संशोधन 2003- संविधान की आठवीं अनुसूची में बोडो, डोगरी, मैथली और संथाली भाषाओं का समावेश।
93 वां संविधान संशोधन 2006-शिक्षा संस्थानों में अनुसूचित जाति /जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के नागरिकों के दाखिले के लिए सीटों के आरक्षण की व्यवस्था, संविधान के अनुच्छेद 15 की धारा 4 के प्रावधानों के तहत की गई है।
94 वां संविधान संशोधन 2006- इस संशोधन द्वारा बिहार राज्य को एक जनजाति कल्याण मंत्री नियुक्त करने के उत्तर दायित्व से मुक्त कर दिया गया तथा इस प्रावधान को झारखंड व छत्तीसगढ़ राज्य में लागू करने की व्यवस्था की। मध्यप्रदेश में यह प्रावधान पहले से ही लागू है।

 

और अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें....

History Of Indian Constitution भारतीय संविधान का इतिहास 
Prelude To Indian Constitution-भारतीय संविधान की प्रस्तावना 
Different Sources Of Indian Constitution-भारतीय संविधान के विभिन्न स्रोत 
Fundamental Rights Of Indian Constitution-भारतीय संविधान के मौलिक अधिकार
Fundamental Duty Of The Indian Constitution-भारतीय संविधान के मौलिक कर्तव्य 
Schedules Of Indian Constitution-भारतीय संविधान की अनुसूचियां 
Indian Constitution Amendment-भारतीय संविधान संशोधन 
Important Article Of Indian Constitution-भारतीय संविधान के महत्वपूर्ण अनुच्छेद 
Different Parts Of Indian Constitution-भारतीय संविधान के विभिन्न भाग 
Important Quiz Related To Indian Constitution-भारतीय संविधान से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी

Total amendments in indian constitution