Vibhats Ras

Vibhats Ras Thursday 26th of December 2024

Vibhats Ras घृणा नामक स्थाई भाव विभावादि से संयुक्त होकर वीभत्स रस में परिणत होता है.बीभत्स रस काव्य में मान्य नव रसों में अपना विशिष्ट स्थान रखता है।

वीभत्स रस की परिभाषा Definition Of Vibhats Ras

वीभत्स रस का स्थायी भाव जुगुप्सा होता है। इसमें घृणित वस्तुओं, घृणित चीजो या घृणित व्यक्ति को देखकर अथवा उनके संबंध में विचार करके अथवा उनके सम्बन्ध में सुनकर मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कि पुष्टि करती है अर्थात वीभत्स रस के लिए घृणा और जुगुप्सा का होना आवश्यक होता है। 

Vibhats Ras बीभत्स रस भी काव्य में मान्य नव रसों में अपना विशिष्ट स्थान रखता है और इसकी स्थिति दु:खात्मक रसों में मानी जाती है। इस दृष्टि से करुण, भयानक तथा रौद्र, ये तीनो रस इसके सहयोगी या सहचर सिद्ध होते हैं। शान्त रस से भी इसकी निकटता मान्य है, क्योंकि बहुधा बीभत्सता का दर्शन वैराग्य की प्रेरणा देता है और अन्तत: शान्त रस के स्थायी भाव शम का पोषण करता है।Vibhats Ras

विभत्स रस के उदहारण Vibhats Ras Ke Udaharan

सिर पर बैठो काग आँखि दोउ-खात निकारत। 
खींचत जीभहिं स्यार अतिहि आनन्द उर धारत। । 

आँखे निकाल उड़ जाते, क्षण भर उड़ कर आ जाते
शव जीभ खींचकर कौवे, चुभला-चभला कर खाते
भोजन में श्वान लगे मुरदे थे भू पर लेटे
खा माँस चाट लेते थे, चटनी सैम बहते बहते बेटे। 

बहु चील्ह नोंचि ले जात तुच, मोद मठ्यो सबको हियो
जनु ब्रह्म भोज जिजमान कोउ, आज भिखारिन कहुँ दियो। 

रस के भेद-
रस 9  प्रकार के होते हैं परन्तु वात्सल्य एवं भक्ति को भी रस माना गया हैं।

१- श्रंगार रस Shringar Ras 
२-  हास्य रस Hasya Ras
३-  वीर रस Veer Ras
४- करुण रस Karun Ras 
५-  शांत रस Shant Ras
६- अदभुत रस Adbhut Ras
७- भयानक रस Bhayanak Ras 
८- रौद्र रस Raudra Ras 
९- वीभत्स रस Vibhats Ras 
१०-  वात्सल्य रस Vatsalya Ras
११-  भक्ति रस Bhakti Ras

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