Upsarg and Pratyay in Hindi

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अंतःकरण = अंतः + करण (विसर्ग-संधि)

षण्मास = षट् + मास (व्यंजन संधि)

उच्चारण = उत् + चारण (व्यंजन संधि)

संचय = सम् + चय (व्यंजन संधि)

तट्टीका = तत् + टीका (व्यंजन संधि)

संधिच्छेद = संधि + छेद (व्यंजन संधि)

अजंत = अच् + अंत (व्यंजन संधि)

संबंध = सम् + बंध (व्यंजन संधि)

तद्धित = तत् + हित (व्यंजन संधि)

संरक्षण = सम् + रक्षण (व्यंजन संधि)

उच्छिष्ट = उत् + शिष्ट (व्यंजन संधि)

संवाद = सम् + वाद (व्यंजन संधि)

तद्रूप = तत् + रूप (व्यंजन संधि)

संशय = सम् + शय (व्यंजन संधि)

उज्झटिका = उत् + झटिका (व्यंजन संधि)

सज्जन = सत् + जन (व्यंजन संधि)

अंनाश = अच् + नाश (व्यंजन संधि)

सद्धर्म = सत् + धर्म (व्यंजन संधि)

उड्डयन = उत् + डयन (व्यंजन संधि)

उपसर्ग की परिभाषा

वे शब्दांश जो किसी शब्द के आरंभ में लगकर उनके अर्थ में विशेषता ला देते हैं अथवा उसके अर्थ को बदल देते हैं, उपसर्ग कहलाते हैं। जैसे परा- पराकर्म पराजय, पराभव, पराधीन, पराभूत आदि।

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उपसर्ग=उप (समीप)+सर्ग ( सृष्टि करना) का अर्थ है- किसी शब्द के समीप आकर नया शब्द बनाना। 
जो शब्दांश  शब्दों के आदि में  जुड़कर उनके अर्थ में कुछ विशेषता लाते हैं वे Upsarg कहलाते हैं।

"हार" शब्द का अर्थ है पराजय।  परंतु इसी शब्द के आगे "पर" शब्दांश को जोड़ने से नया शब्द बनेगा- "परहार" (पर+हार) जिसका अर्थ है चोट करना। इसी तरह "आ" जोड़ने से आहार (भोजन) "सम" जोड़ने से संहार (विनाश) तथा "वि" जोड़ने से बिहार (घूमना) इत्यादि शब्द बन जाएंगे। 

उपर्युक्त उदाहरण में "प्र", "आ", "सम", और  "वि" का अलग से कोई अर्थ नहीं है। परंतु हार शब्द के आदि में जुड़ने से उसके अर्थ में इन्होंने परिवर्तन कर दिया है। इसका मतलब हुआ कि ये सभी शब्दांश है और ऐसे शब्दांशों को उपसर्ग कहते हैं। हिंदी में प्रचलित Upsarg को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जा सकता है। 

१-संस्कृत के उपसर्ग ( संख्या- 22)
२-हिंदी के Upsarg (संख्या- 13)
३-उर्दू और फारसी के उपसर्ग (संख्या- 19 )
४-अंग्रेजी के उपसर्ग 
५-उपसर्ग के समान प्रयुक्त होने वाले संस्कृत के अव्यय। 

उपसर्ग        अर्थ                 उपसर्ग से बने शब्द

1-अति -   अधिक/परे      अतीव,अत्यन्त, अत्यधिक, अतीन्द्रिय, अत्युत्तम।

2-अधि -  मुख्य/श्रेष्ठ।     अधिकृत, अध्यक्ष, अधीक्षण, अध्यादेश, अधीन, अध्ययन, अध्यापक।

3-अनु-    पीछे/ समान     अनुरूप, अन्वय, अनुज, अन्वेक्षण, अनूदित, अन्वीक्षण, अनुच्छेद।

4-अप-     विपरीत/बुरा    अपव्यय,  अपशकुन, अपेक्षा,अपकर्ष,।

5-अभि-    पास/सामने     अभीप्सा, अभ्युदय, अभ्यन्तर, अभिभूत,अभ्यास, अभीष्ट।

6-अव-      बुरा/ हीन       अवतार, अवज्ञा,अवशेष, अवकाश, ।

7-आ-       तक/समेत           आघात, आगार, आगम, आमोद, आतप। 

8-उत्-       ऊपर/ श्रेष्ठ      उदय, उच्छ्वास,उत्तम,उज्जवल, उद्धार,  उल्लेख।

9-उद्-        ऊपर/उत्कर्ष       उद्गम, उद्भव

10-उप-       समीप           उपवन, उपाधि, उपेक्षा,उपहार, उपाध्यक्ष।

11-दुर्-        बुरा/ कठिन    दुरूह, दुरवस्था,दुर्गुण,  दुराशा, दुर्दशा।

12-दुस्-       बुरा/ कठिन     दुश्शासन, दुस्साध्य,दुष्कर, दुस्साहस, ।

13-निर्-        बिना/बाहर     निरवलम्ब, नीरोग, निरामिष, निर्धन, नीरस, नीरीह।

14-निस्-       बिना/बाहर     निष्फल, निश्छल, निष्काम, निस्सन्देह।

15-नि-         बिना/विशेष    न्याय, निषेध, न्यास, न्यून, निकर, निषिद्ध।

16-परा-       पीछे/अधिक    पराक्रम,पराकाष्ठा पराविद्या, परावर्तन,।

17-परि-       चारों ओर       परिमाण,पर्याप्त, पर्यटन, पर्यन्त,  परिच्छेद,पर्यावरण।

18-प्र-        आगे/अधिक    प्रोज्जवल, प्रयत्न, प्रारम्भ, प्रेत, प्राचार्य,प्रार्थी।

19-प्रति-       प्रत्येक           प्रत्याशा, प्रत्येक, प्रतीक्षा, प्रत्युत्तर, प्रतीति।

20-वि -        विशेष/भिन्न     व्याधि, विलय, व्यर्थ, व्यायाम,व्यंजन,व्यसन,व्यूह।

21-सम्-       पूर्ण शुद्ध        , सन्तोष, संकल्प,  संयोग,संशय, संलग्न।

22-सु-         अच्छा/सरल     सुलभ, सुगन्ध, स्वागत, स्वल्प, सूक्ति,।

उपसर्ग        अर्थ             उपसर्ग से बने शब्द

1-अ-    अभाव, निषेध       अछूता, अथाह, अटल

2-अन-    निषेध अर्थ में     अनजान, अनमोल, अलग, अनकहा, अनदेखा इत्यादि।

3-क-    बुरा, हीन              कपूत, कचोट

4-कु-    बुरा                      कुचाल, कुचैला, कुचक्र

5-दु-     बुरा, हीन, विशेष     दुबला, दुर्जन, दुर्बल, दुकाल इत्यादि।

6-बिन-    बिना, निषेध      बिनब्याहा, बिनबादल, बिनपाए, बिनजाने

7-नि-    आभाव, विशेष      निगोड़ा, निडर, निकम्मा इत्यादि।

8-औ/अव-    हीन, निषेध     औगुन, औघर, औसर, औसान

9-भर-    पूरा                      भरपेट, भरपूर, भरसक, भरमार

10-सु-    अच्छा                 सुडौल, सुजान, सुघड़, सुफल

11-अध्-    आधे अर्थ में        अधजला, अधखिला, अधपका, अधकचरा, अधकच्चा, अधमरा इत्यादि।

12-उन    एक कम              उनतीस, उनचास, उनसठ, इत्यादि।

13-पर-    दूसरा, बाद का       परलोक, परोपकार, परसर्ग, परहित

Suffix in Hindi प्रत्यय की परिभाषा

प्रत्यय की उत्पत्ति है प्रति +अय= प्रत्यय  अर्थात बाद में चलने या लगने वाला। जो शब्दाँश शब्दों के अंत में लगकर उनके अर्थ को बल देते है,वे  Pratyay कहलाते हैं। प्रत्यय अविकारी शब्दाँश है जो बाद में जोड़े जाते हैं। जैसे "लिख" शब्द में आवट Pratyay जोड़ने से लिखावट शब्द बनता है।
१. प्रत्यय के जुुड़ने से अधूरे शब्द पूरे हो जाते हैं। 
२. Pratyay का विधान धातु से होता है। 

प्रत्यय से :-
सब्जी + वाला = सब्जी वाला 
 प्रत्ययों का अपना अर्थ कुछ भी नहीं होता है और ना ही इनका प्रयोग स्वतंत्र रूप से किया जाता है।

प्रत्येक के मुख्यतः दो भेद हैं। 
१. कृत प्रत्यय 
२. तद्धित प्रत्यय

१. कृत प्रत्यय

वे प्रत्यय जो क्रिया के मूल रूप यानि धातु  में जोड़े जाते हैं, कृत् प्रत्यय कहलाते हैं। कृत प्रत्यय से बने शब्द कृदंत कहलाते है। जैसे लिख +अक = लेखक।  यहां अक  कृत प्रत्यय है तथा लेखक कृदंत शब्द है। 

२. तद्धित प्रत्यय

वे प्रत्यय जो क्रिया के मूल रूप यानी धातु को छोड़कर अन्य शब्दों- संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण व अवयव में जुड़ते हैं तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं। तद्धित प्रत्यय से बने शब्द तद्धितांत  शब्द का लाते हैं।  जैसे- सेठ +आनी= सेठानी। यहां आनी  तद्धित प्रत्यय है तथा सेठानी तद्धित शब्द है। 

उपर्युक्त दोनों प्रत्ययों में यह समानता है कि दोनों प्रकार के  प्रत्ययों  से बनने वाले शब्द प्रायः संज्ञा या विशेषण होते हैं। 

  • जो शब्दांश शब्दों के अंत में जोड़कर उनके अर्थ में विशेषता या परिवर्तन ला देते हैं वे प्रत्यय कहलाते हैं। 
  • प्रत्ययों का अपना कुछ भी अर्थ नहीं होता है और न ही इनका प्रयोग स्वतंत्र रूप से किया जाता है। 
  • हिंदी के प्रायः सभी प्रत्ययों कृत और तद्धित, संस्कृत के कृत और तद्धित प्रत्यय से ही विकसित हुए हैं।