Sakarmak kriya and Akarmak kriya

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अकर्मक क्रिया के साथ साथ कर्म नहीं होता तथा उसका फल कर्ता पर पड़ता है।

जैसे- 

  1. राधा रोती है। (कर्म का अभाव है तथा रोती है क्रिया का फल राधा पर पड़ रहा है)
  2. मोहन हंसता है। (कर्म का अभाव है तथा हंसता है क्रिया का फल मोहन पर पड़ता है)

सकर्मक और अकर्मक क्रियाओं को पहचान क्या और किसको प्रश्न करने से होती है। यदि दोनों का उत्तर मिले तो समझना चाहिए कि क्रिया सकर्मक है और यदि उत्तर ना मिले तो वह क्रिया अकर्मक क्रिया होगी।

जैसे- 

  1. राम फल खाता है। प्रश्न करने पर की राम क्या खाता है उत्तर मिलता है फल खाता है। अतः यह क्रिया सकर्मक क्रिया होगी। 
  2. बालक रोता है। इस वाक्य में प्रश्न करने पर क्या रोता है कोई उत्तर नहीं मिलता बालक किस को रोता है कोई उत्तर नहीं मिलता अतः क्रिया अकर्मक क्रिया होगी। 
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जिस क्रिया के व्यापार का फल कर्म पर पड़ता है उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे- मोहन आम खा रहा है। यहां खा रहा है क्रिया के व्यापार का फल आम पर पड़ रहा है अतः खा रहा है क्रिया सकर्मक क्रिया है। सकर्मक क्रिया को पहचानने के लिए क्या अथवा कौन के प्रश्न करने पर यदि उत्तर मिल जाए तो वह सकर्मक क्रिया होती है। 
 जैसे- बालक निबंध लिख रहा है यहां पर प्रश्न - बालक क्या लिख रहा है उत्तर मिल रहा है कि निबंध लिख रहा है अतः यहां पर सकर्मक क्रिया होगी। इस प्रकार इस क्रम वाली क्रिया सदैव सकर्मक क्रिया होती है। 

  1. राम फल खाता है। (खाना क्रिया के साथ फल कर्म है) 
  2. सीता गीत गाती है। (गाना क्रिया के साथ गीत कर्म है ) 
  3. मोहन पड़ता है (पढ़ना क्रिया के साथ पुस्तक कर्म की संभावना बनती है)