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Baudh dharm-Buddhist religion was founded in the sixth century BC. The founder of this religion is Bhagwan buddha.Buddhism is divided into two sects Heinan and Mahayana. There are approximately 1.8 billion Buddhists worldwide. Among them, there is a great deal of Mahayani Buddhism. There are 18 countries in the world where Buddhist majority is.
बौद्ध धर्म (Baudh dharm)-Buddhism
महात्मा बुद्ध,Mahatma budh,Bhagwan buddha
- महात्मा बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में नेपाल की तराई में स्थित कपिलवस्तु के समीप लुंबिनी नामक ग्राम में शाक्य क्षत्रिय कुल में हुआ था।
- इनके पिता का नाम शुद्धोधन तथा माता का नाम महामाया था।
- इनके जन्म के सातवें दिन ही इनकी माता महामाया की मृत्यु हो गई थी अतः इनका पालन पोषण इनकी मौसी प्रजापति गौतमी ने किया था।
- 16 वर्ष की आयु में इनका विवाह यशोधरा नामक राजकुमारी से हुआ।
- 28 वर्ष की आयु में इनके पुत्र राहुल का जन्म हुआ।
- 29 वर्ष की आयु में इन्होंने सत्य की खोज के लिए गृह त्याग कर दिया।
- 35 वर्ष की आयु में गया बिहार में उरुवेला नामक स्थान पर पीपल वृक्ष के नीचे वैशाख पूर्णिमा की रात्रि में समाधिस्थ अवस्था में इनको ज्ञान प्राप्त हुआ।
- महात्मा बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश सारनाथ में दिया था।
- 483 ईसापूर्व में 80 वर्ष की आयु में महात्मा बुद्ध का देहांत कुशीनारा में हो गया।
- महात्मा बुद्ध ने अपना उपदेश जनसाधारण की भाषा पालि में दिया था।
- विश्व दुखों से भरा है का सिद्धांत बुद्ध ने उपनिषद से लिया।

Mahatma budh
महात्मा बुद्ध के चार आर्य सत्य
- दुःख – महात्मा बुद्ध के अनुसार जीवन में दुःख ही दुःख है, अतः क्षणिक सुख को सुख मानना अदूरदर्शिता है।
- दुःख समुदय- महात्मा बुद्ध के अनुसार दुःख का कारण तृष्णा है, इंद्रियों को जो वस्तुएं प्रिय लगती हैं उनको प्राप्त करने की इच्छा ही तृष्णा है और तृष्णा का कारण अज्ञान है।
- दुःख निरोध- महात्मा बुद्ध के अनुसार दुखों से मुक्त होने के लिए उसके कारण का निवारण आवश्यक है। अतः तृष्णा पर विजय प्राप्त करने से दुखों से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है।
- दुःख निरोध गामिनी – महात्मा बुद्ध के अनुसार दुखों से मुक्त होने अथवा निर्वाण प्राप्त करने के लिए जो मार्ग हैं उसे अष्टांगिक मार्ग कहा जाता है।
महात्मा बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग Mahatma Buddha’s ashtanga marga
- सम्यक दृष्टि- मिथ्यादृष्टि को त्याग का यथार्थ स्वरुप पर ध्यान देना चाहिए।
- सम्यक संकल्प– दूसरों के प्रति द्वेष वा हिंसा का परित्याग करने का संकल्प करना चाहिए।
- सम्यक वाक् – इसके अंतर्गत है झूठ,निंदा व अप्रिय वचन नहीं बोलना चाहिए।
- सम्यक कर्मान्त – अहिंसा व इंद्रिय संयम ही सम्यक कर्मान्त है।
- सम्यक आजीविका– इसके अंतर्गत मनुष्य को जीवकोपार्जन के लिए पवित्र रास्ता चुनना चाहिए।
- सम्यक व्यायाम– शुद्ध ज्ञान युक्त प्रयत्न, जिससे धर्म की दृष्टि उत्पन्न हो, सम्यक व्यायाम है।
- सम्यक स्मृति– इसके अंतर्गत निरंतर चेतन रहने की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
- सम्यक समाधि– सम्यक समाधि चित् को एकाग्र करने को कहते हैं। सम्यक समाधि प्राप्त करने पर मनुष्य निर्वाण प्राप्त कर लेता है।
baudh dharm
बौद्ध संगीतियां Buddhist musicals
संगीति | समय | स्थल | शासक | संगीत अध्यक्ष |
प्रथम बौद्ध संगीति | 483 ई.पू. | सप्तपर्णी गुफा (राज गृह, बिहार) | अजातशत्रु ,हर्यक वंश | महाकस्सप |
द्वितीय बौद्ध संगीति | 383 ई.पू. | चुल्ल्बग्ग (वैशाली बिहार) | कालाशोक, शिशुनाग वंश | साबकमीर |
तृतीय बौद्ध संगीति | 251 ई.पू. | पाटिल पुत्र, (मगध की राजधानी) | अशोक, मौर्य वंश | मोग्गलिपुत्त तिस्स |
चतुर्थ बौद्ध संगीति | प्रथम शताब्दी ई. | कुंडल वन (कश्मीर) | कनिष्क, कुषाण वंश | वसुमित्र |
त्रिपिटक buddhist tripitaka
- विनय पिटक- इसमें संघ संबंधी नियमों दैनिक आचार विचार व विधि निषेध का संग्रह है।
- सुत्त पिटक -इसमें बौद्ध धर्म के सिद्धांत व उपदेशों का संग्रह है।
- अभिधम्म पिटक- यह पिटक प्रश्नोत्तर क्रम में है और इसमें दार्शनिक सिद्धांतों का संग्रह है।